किसी को भी उस कष्ट से नहीं गुजरना चाहिए, जिससे वह गुजरी हैं?, डोनाल्ड ट्रंप के कारण अमेरिका से निर्वासित 73 वर्षीय हरजीत कौर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 27, 2025 21:44 IST2025-09-27T21:43:31+5:302025-09-27T21:44:26+5:30

आवेदन को 2012 में अस्वीकार कर दिया गया था, लेकिन तब से, वह 13 साल से भी ज्यादा समय तक हर छह महीने में सैन फ्रांसिस्को स्थित आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) में “निष्ठापूर्वक रिपोर्ट” करती रहीं, यह बात उनकी पुत्रवधू मंजी ने उनके निर्वासन के बाद कही।

usa 73 years old Harjeet Kaur deported US because Donald Trump No one should have to go through what she went through | किसी को भी उस कष्ट से नहीं गुजरना चाहिए, जिससे वह गुजरी हैं?, डोनाल्ड ट्रंप के कारण अमेरिका से निर्वासित 73 वर्षीय हरजीत कौर

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Highlightsपरिवार और समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया और चिंता जतायी थी। 1992 में दो बेटों के साथ अकेली मां के रूप में अमेरिका पहुंचीं। मेरे पास वर्क परमिट, आईडी और लाइसेंस था। मेरे पास सब कुछ था।

चंडीगढ़ः अमेरिका में तीन दशक से अधिक समय बिताने के बाद हाल ही में वहां से निर्वासित की गई 73 वर्षीय हरजीत कौर ने शनिवार को कहा कि किसी को भी उस कष्ट से नहीं गुजरना चाहिए, जिससे वह गुजरी हैं। उन्होंने अमेरिका में अपने परिवार से फिर से मिलने की इच्छा भी व्यक्त की। कौर ने अमेरिका में शरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन वह स्वीकार नहीं किया गया। कौर को कैलिफोर्निया में आव्रजन अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद भारत भेज दिया गया था, ऐसा उनके वकील ने पहले कहा था। कैलिफोर्निया में आव्रजन अधिकारियों ने आठ सितंबर को उन्हें उस समय हिरासत में ले लिया, जब वह नियमित जांच के लिए गई थीं, जिसके बाद उनके परिवार और समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया और उनकी स्थिति को लेकर चिंता जतायी थी।

कौर 1992 में दो बेटों के साथ अकेली मां के रूप में अमेरिका पहुंचीं। उनके शरण के आवेदन को 2012 में अस्वीकार कर दिया गया था, लेकिन तब से, वह 13 साल से भी ज्यादा समय तक हर छह महीने में सैन फ्रांसिस्को स्थित आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) में “निष्ठापूर्वक रिपोर्ट” करती रहीं, यह बात उनकी पुत्रवधू मंजी ने उनके निर्वासन के बाद कही।

मोहाली में अपनी बहन के घर पर पत्रकारों से बात करते हुए, तरनतारन जिले के पंगोटा गांव की रहने वाली कौर ने कहा, “मैं हर छह महीने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वहां (आईसीई कार्यालय) जाती थी। आठ सितंबर को, मैं अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वहां गई थी, लेकिन उन्होंने बिना कुछ बताए मुझे गिरफ्तार कर लिया।”

कौर ने यह भी बताया कि उन्हें उनके परिवार के करीबी सदस्यों को अलविदा कहने का भी मौका दिए बिना वापस भेज दिया गया। कौर ने कहा, “मेरे परिवार ने मुझे भारत लाने के लिए संबंधित अधिकारियों से अनुमति मांगी और हवाई जहाज का टिकट भी दिखाया। लेकिन वे नहीं माने।” उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, “मेरे पास वर्क परमिट, आईडी और लाइसेंस था। मेरे पास सब कुछ था।”

जब उनसे पूछा गया कि आव्रजन अधिकारियों ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया, तो उन्होंने आंखों में आंसू भरकर कहा, “मैं क्या कहूं? किसी को भी उस तकलीफ से नहीं गुजरना चाहिए, जिससे मुझे गुजरना पड़ा।” विवरण साझा करते हुए कौर ने बताया कि सैन फ्रांसिस्को में हिरासत में लिए जाने के बाद उन्हें एक कमरे में ले जाया गया।

दोनों घुटने की सर्जरी करा चुकीं कौर ने कहा, “उन्होंने मेरी तस्वीर ली और मुझे पूरी रात कमरे में ही रखा। बहुत ठंड थी और मैं लेट भी नहीं पा रही थी।” उन्होंने कहा, “जब वे मुझे सैन फ्रांसिस्को से बेकर्सफील्ड ले गए, तो मुझे हथकड़ी और बेड़ियां पहना दी गईं।” यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें दवाइयां लेने की इजाजत थी, कौर ने सिर हिलाते हुए कहा, “मेरी सारी मिन्नतें अनसुनी कर दी गईं।”

कौर ने कहा, “मैं शाकाहारी होने के कारण उनका दिया हुआ खाना भी नहीं खा सकी। उन्होंने गोमांस परोसा, जो मैं नहीं खाती।” कौर के अनुसार, उन्हें विमान में सवार 132 लोगों के साथ निर्वासित किया गया, जिनमें 15 कोलंबियाई नागरिक भी शामिल थे। यह पूछे जाने पर कि क्या विमान में उन्हें हथकड़ी लगाई गई थी, कौर ने कहा, “नहीं।

विमान में दो अच्छे अधिकारी थे, जिन्होंने मुझे हथकड़ी नहीं लगाई, हालांकि अन्य निर्वासितों को हथकड़ी और बेड़ियां लगाई गई थीं।” कौर ने कहा, “मेरा पूरा परिवार अमेरिका में बसा हुआ है, जिसमें मेरे बच्चे, पोते-पोतियां भी शामिल हैं। जब मैं उनकी आवाज़ सुनती हूं, तो मैं कुछ बोल नहीं पाती। मैंने उनकी देखभाल की है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या वह अमेरिका लौटना चाहेंगी, कौर ने कहा, “जरूर। मेरा पूरा परिवार वहीं है।” उन्होंने हाल के महीनों में बड़ी संख्या में भारतीयों के निर्वासन के लिए पूरी तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जिम्मेदार ठहराया। कौर ने कहा, “मैं 1992 से अमेरिका में थी, लेकिन मैंने अधिकारियों द्वारा ऐसी कोई कार्रवाई कभी नहीं देखी।

किसी को भी वापस जाने के लिए नहीं कहा गया।” उनकी हिरासत के बाद कैलिफोर्निया में विरोध प्रदर्शन हुए और प्रदर्शनकारियों ने कौर की रिहाई की मांग की तथा उनके हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था, “हमारी दादी को हाथ मत लगाओ” और “दादी को घर लाओ”।

Web Title: usa 73 years old Harjeet Kaur deported US because Donald Trump No one should have to go through what she went through

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