उपेंद्र कुशवाहा को एक और झटका, रालोसपा के विधायकों ने थामा जदयू का हाथ
By एस पी सिन्हा | Published: May 27, 2019 04:59 AM2019-05-27T04:59:01+5:302019-05-27T04:59:01+5:30
लोकसभा चुनाव में उपेन्द्र कुशवाहा पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें दो सीटों पर वह खुद चुनाव लड रहे थे. लेकिन इस चुनाव में वह खुद तो हारे हीं उनके उम्मीदवारों का भी हश्र अच्छा नही रहा.
लोकसभा चुनाव में करारी हार का झटका झेल रहे रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को आज एक और झटका लगा. उनकी पार्टी के दो बागी विधायकों और एक विधानपार्षंद ने उनका साथ छोड़ कर आधिकारिक तौर पर जदयू का हाथ थाम लिया.
पार्टी के विधायकों सुधांशु शेखर, ललन पासवान और विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह ने अपने गुट का विलय जदयू में करने संबंधी पत्र बिहार विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है.
इन तीनों नेताओं ने उपेन्द्र कुशवाहा से अलग होकर रालोसपा पर दावा ठोका था. तीनों नेताओं ने चुनाव से ठीक पहले रालोसपा पर अपनी दावेदारी को लेकर चुनाव आयोग के समक्ष अपील की थी, जिसके बाद चुनाव आयोग ने अलग गुट की मान्यता दे दी थी.
आज तीनों नेताओं ने अपने अलग गुट को जदयू में विलय संबंधी पत्र विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी को सौंपा है. बताया जाता है कि चुनाव आयोग ने ललन पासवान की अगुवाई वाले बागी गुट को बिहार में राज्य स्तरीय दल की अंतरिम मान्यता दी थी साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी आदेश दिया था कि लोकसभा चुनाव में यह गुट अपने उम्मीदवार उतार सकेगा.
यहां बता दें कि 2014 के चुनाव में रालोसपा के तीन सांसद थे, लेकिन 2019 आते-आते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही अपनी पार्टी के इकलौते सांसद रहे, जबकि उनके दोनों बाकी सांसदों अरूण कुमार और राम कुमार शर्मा ने मतभेदों के कारण पार्टी का साथ छोड़ दिया था.
जबकि दो विधायकों और एक विधान पार्षद ने भी उपेन्द्र कुशवाहा को बाय-बाय कर दिया था. उसके बावजूद इस लोकसभा चुनाव में उपेन्द्र कुशवाहा पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें दो सीटों पर वह खुद चुनाव लड रहे थे. लेकिन इस चुनाव में वह खुद तो हारे हीं उनके उम्मीदवारों का भी हश्र अच्छा नही रहा. उस सदमें से अभी वह उबर भी नही पाये थे कि विधायकों और विधान पार्षद ने जदयू का दामन थाम लिया है.