उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की 5 गांठें, 60 सीटें जीतने का फार्मूला लीक
By जनार्दन पाण्डेय | Published: January 12, 2019 01:36 PM2019-01-12T13:36:06+5:302019-01-12T16:13:50+5:30
SP-BSP alliance: बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सयुंक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के कहा कि दोनों पार्टियां उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में 38-38 सीटों चुनाव लड़ेंगे।
आगामी लोकसभा चुनाव 2019 के मारफत उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन का ऐलान शनिवार को हो गया। लखनऊ के ताज होटल में बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सयुंक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के कहा कि दोनों पार्टियां उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में 38-38 सीटों चुनाव लड़ेंगे। जबकि बिना गठबंधन के दो सीटें कांग्रेस व दो सीटें कुछ अन्य पार्टियों के लिए छोड़ दी गई हैं।
असल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों से एक राज्य छिन जाए तो दूसरे की तैयारी शुरू हो जाती है। लेकिन सपा-बसपा से यूपी छिन जाए तो करने को कुछ नहीं बचता। इसलिए दोनों प्रतिद्वंदी पार्टियों ने गठबंधन कर लिया है। लेकिन लोकसभा चुनाव लिए किए गए फैसले और रणनीतियों के पीछे को एक पहलू या कोई एक तथ्य नहीं होता। इस गठबंधन की गहराई में उतरें तो कई परतें खुलती हैं।
पहली गांठ- लोकसभा चुनाव 2014 में सपा-बसपा को मिले वोट
लोकसभा चुनाव 2014 में सपा को करीब 22 फीसदी वोट मिले थे। जबकि बसपा को 20 फीसदी वोट मिले थे। दोनों को जोड़ दें यह 42 फीसदी के पार पहुंच जाते हैं। दिलचस्प ये है कि भारतीय जनता पार्टी ने मोदी लहर में 42 फीसदी वोट ही पाया था। ऐसे में सपा-बसपा दो से पांच फीसदी वोट और जुटाती हैं तो सीटों में भारी अंतर डाल सकती हैं।
दूसरी गांठः लोकसभा चुनाव 2014 में सपा-बसपा की सीटें
अव्वल तो लोकसभा चुनाव 2014 में सपा-बसपा को मिलाकर महज 5 सीटें मिली थीं। इसमें भी बसपा का योगदान शून्य सीट का है। लेकिन दूसरे बसपा
30 सीटों पर नंबर पर रही थी, जिनमें सपा उम्मीदवारों के वोट जोड़ते ही बीजेपी से कहीं आगे निकल जाते हैं। इसी तरह 22 सीटों पर सपा दूसरे नंबर रही थी। इनमें बसपा उम्मीदवारों के वोट जोड़ते ही बीजेपी बौनी हो जाती है।
ऐसे में बीजेपी पांच, 30 व 22 कुल 57 सीटों का आंकड़ा पहुंचता है। लेकिन इस गठबंधन पहले ही फुलपुर, कैराना और गोरखपुर की सीटें बीजेपी से छीन ली हैं। ऐसे में यह आकड़ा 60 सीटों पर पहुंच जाता है।
तीसरी गांठः उत्तर प्रदेश में यादव मुस्लिम व एससी एसटी का वोट बैंक
उत्तर प्रदेश में 12 फीसदी यादव, 22 फीसदी दलित और 18 फीसदी मुस्लिम हैं। इन तीनों वर्गों पर सपा-बसपा की मजबूत पकड़ है और इन्हें जोड़ दें तो यह वोट फीसदी 52 को पार कर जाती है। यह भारतीय जनता पार्टी को मिले वोटों से कहीं ज्यादा है।
चौथी गांठः मिले मुलायम काशीराम, हवा में उड़ गए जयश्री राम
साल 1991 विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 221 सीटें जीती थीं। लेकिन 1993 में सपा-बसपा गठबंधन कर विवादित ढांचे के गिरने के बाद भी बीजेपी को बेदखल करने में सफल रही हैं। इस ऐतिहासिक पहलू को भी सपा-बसपा ध्यान में रखे हुए है।
पांचवीं गांठः एसपी-बीएसपी का गठबंधन क्यों?
- लोकसभा चुनाव 2014 में दोनों पार्टियों की करारी हार
- विधानसभा चुनाव 2017 में सपा-बसपा की बड़ी हार
- 2018 फूलपुर, गोरखपुर और कैराना लोकसभा उपचुनावों में सपा-बसपा गठबंधन की सफलता
- बीजेपी का काट के काट के तौर पर 2015 में बिहार के जद-यू/राजद/कांग्रेस महागठबंधन की जीत
- 2018 में कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस का पोस्ट एलाएंस का सफल होना
- यूपी में मुस्लिम, यादय, एससी-एसटी वोट बैंक