UP Nagar Nikay Chunav 2023: बीजेपी सांसद मेनका, वरुण गांधी, जगदंबिका पाल और ब्रजभूषण सिंह बने मुसीबत!, निकाय चुनाव से दूरी बनाई, आखिर क्या है वजह

By राजेंद्र कुमार | Published: April 28, 2023 07:44 PM2023-04-28T19:44:27+5:302023-04-28T19:46:00+5:30

UP Nagar Nikay Chunav 2023: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सांसदों और विधायकों ज़िम्मेदारी दी है. लेकिन मेनका और वरुण गांधी सहित कई सांसद और विधायक रुचि ही नहीं ले रहे हैं.

UP Nagar Nikay Chunav 2023 bjp mp Maneka Gandhi Varun Gandhi Jagdambika Pal Brajbhushan Singh trouble distanced civic elections what reason | UP Nagar Nikay Chunav 2023: बीजेपी सांसद मेनका, वरुण गांधी, जगदंबिका पाल और ब्रजभूषण सिंह बने मुसीबत!, निकाय चुनाव से दूरी बनाई, आखिर क्या है वजह

अयोध्या का मामला भी भाजपा के लिए मुसीबत बन गया है.

Highlightsसपा से लाए गए रईस शुक्ला को लेकर अपनी नाराजगी जताई है.अयोध्या का मामला भी भाजपा के लिए मुसीबत बन गया है.ऋषिकेश उपाध्याय का टिकट काट कर गिरीश पति त्रिपाठी को दे दिया गया.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने में जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) घर के झगड़े में फंस गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निकाय चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों की जीत को सुनिश्चित करने के लिए हर दिन जिले जिले में जाकर चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद भाजपा की बागी नेता जोश में हैं.

पार्टी के नाराज नेताओं को समझाने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सांसदों और विधायकों ज़िम्मेदारी दी है. लेकिन मेनका और वरुण गांधी सहित पार्टी के तमाम सांसद और विधायक पार्टी के बागी नेताओं को समझाने में रुचि ही नहीं ले रहे हैं. पार्टी के सीनियर नेताओं का यह रुख पार्टी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है.

हालांकि निकाय चुनाव में वोट मांगने पहुंचे योगी आदित्यनाथ चुनावी मंचों से कह रहे हैं यूपी में सब चंगा है. कानून-व्यवस्था को लेकर ये बात सही हो सकती है. पर भाजपा में सभी को पता है की पार्टी में तो सब चंगा नहीं है. यही वजह है कि सुल्तानपुर की भाजपा सांसद मेनका गांधी और पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी ने निकाय चुनाव से दूरी बना रखी है.

सांसद मां बेटे दोनों न तो भाजपा प्रत्याशियों के नामांकन सभा में पहुंचे ना ही संगठनात्मक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं. कानपुर से भाजपा के सांसद सत्यदेव पचौरी भी पार्टी के मेयर प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में रुचि नहीं ले रहे हैं. सत्यदेव अपनी बेटी के लिए टिकट चाह रहे थे, लेकिन उनकी सुनी ही नहीं गई.

इसी प्रकार पत्नी का टिकट कटने से खफा प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य द्वारा सपा से लाए गए रईस शुक्ला को लेकर अपनी नाराजगी जताई है. अयोध्या का मामला भी भाजपा के लिए मुसीबत बन गया है. पार्टी ने संघ की पसंद वाले ऋषिकेश उपाध्याय का टिकट काट कर गिरीश पति त्रिपाठी को दे दिया गया.

टिकट के दावेदारों में हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास समेत भाजपा के कई लोकल नेता थे. कभी कांग्रेस के बड़े नेता रहे और वर्तमान में भाजपा के सांसद जगदंबिका पाल भी पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने में सुस्ती दिखा रहे हैं. पहलवानों से साथ विवाद में फंसे सांसद ब्रजभूषण भी चुनाव लड़ रहे पार्टी प्रत्याशियों के लिए आयोजित कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुये हैं.  

कहा जा रहा है पार्टी के तमाम सांसदों को यह भय है कि उनका टिकट इस बार कट रहा है, इस नाते वह पार्टी प्रत्याशियों के प्रचार में रुचि नहीं ले रहे हैं. जबकि भाजपा निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास मानकर चुनाव लड़ रही है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और सीएम योगी ने पार्टी के सभी सांसदों और विधायकों को पूरी ताकत के साथ चुनाव में जुटने का निर्देश दिया हुआ है.

सांसदों को खासतौर पर आगाह किया गया कि निकाय चुनाव में ही लोकसभा चुनाव की जमीन तैयार करें. कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने के साथ उनके साथ समन्वय भी बनाएं. पार्टी ने हर सांसद और विधायक को अपने क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है.

इसके बाद भी सुल्तानपुर की सांसद मेनका गांधी और पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी न तो भाजपा प्रत्याशियों के नामांकन कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे हैं. ना ही वो अभी तक संगठनात्मक बैठकों या चुनावी कार्यक्रमों में शामिल ही हुये. दोनों जिलों के पार्टी पदाधिकारियों ने इस संबंध में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को मौखिक तौर पर सूचित भी कर दिया है.

पीलीभीत के जिलाध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह का कहना है कि सांसद वरुण गांधी विधानसभा चुनाव में भी प्रचार पर नहीं आए थे और अब वह निकाय चुनाव में भी प्रचार पर नहीं आए हैं. ऐसी ही शिकायत पार्टी के अन्य कई सांसद और विधायकों के बारे में पार्टी के मुख्यालय तक पहुंची है.

अब कहा जा रहा है कि पार्टी के लिए मुसीबत बन रहे बागियों को पार्टी से निकालने की कार्रवाई की जाएगी और जो सांसद तथा विधायक पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने में रुचि नहीं ले रहे हैं, उनके खिलाफ भी निकाय चुनाव खत्म होने के बाद एक्शन लिया जाएगा. 

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