UP Nagar Nikay Chunav 2023: सीएम योगी ने फिर चला पुराना दांव, नो कर्फ्यू नो दंगा, यूपी में सब चंगा!
By राजेंद्र कुमार | Published: April 24, 2023 06:14 PM2023-04-24T18:14:45+5:302023-04-24T18:16:00+5:30
UP Nagar Nikay Chunav 2023: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह दावा सोमवार को जनता रोड स्थित महाराज सिंह डिग्री कॉलेज मैदान में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए किया.
लखनऊः उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक महुला गरमाने लगा है. हालांकि सोमवार को यूपी के कई जिलों में बरसात हुई लेकिन सहारनपुर में चुनाव प्रचार की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के नेताओं को कानून व्यवस्था के नाम पर खूब आड़े हाथों लिया.
उन्होने कहा कि अब यूपी बदल गया है, अब यहां नो कर्फ्यू नो दंगा, यूपी में सब चंगा. रंगदारी ना फिरौती, अब यूपी नहीं है किसी की बपौती. माफिया-अपराधी हो गये अतीत, यूपी बना है सुरक्षा,-खुशहाली और रोजगार का प्रतीक. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह दावा सोमवार को जनता रोड स्थित महाराज सिंह डिग्री कॉलेज मैदान में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए किया.
यह भी कहा कि यूपी अब कर्फ्यू के लिए नहीं, कांवड़ यात्रा के लिए पहचाना जा रहा है. हमारी पहचान अब उपद्रव की नहीं, उत्सवों की है. यह प्रदेश माफिया नहीं, महोत्सव का प्रदेश बन चुका है. ये हमें तय करना है कि हमारे शहरों में शोहदों का आतंक हो या हम इसे सेफ सिटी बनाएंगे.
हम अपने युवाओं के हाथों में तमंचा देखना चाहते हैं या टैबलेट और स्मार्टफोन. सहारनपुर से पहली जनसभा में मुख्यमंत्री ने यूपी के नगरों में बीजेपी सरकार की ओर से किए गए कार्यों को भी एक एक कर गिनाया. और पार्टी प्रत्याशी को जिताने की अपील जनता से की.
फिर चला पुराना दांव:
मुख्यमंत्री ने पश्चिम यूपी में तीन सभाएं की. अपनी हर चुनावी सभा में उन्होने कानून व्यवस्था को ही अपना प्रमुख मुददा बनाया. और विस्तार से यह बताया कि कैसे सपा सरकार में दंगे हुआ करते थे और उनकी सरकार ने इसे कैसे काबू किया हुआ है.
वास्तव में कानून व्यवस्था का मामला पश्चिम यूपी के लोगों को भाता है और इसका जिक्र होते ही इलाके में हिंदू समाज तमाम तकलीफ़ों को भूल जाता है और भाजपा के पक्ष में गोलबंद हो जाता है. इसी लिए आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ना सिर्फ दंगों पर अंकुश लगाने की बात बल्कि अतीक जैसे माफिया को ठिकाने लगाने का जिक्र भी किया.
क्योंकि उन्हे पता है कि इन दो मुद्दों के जरिए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव द्वारा उठाए जा रहे जातीय जनगणना के मुद्दे को रोका जा सकेगा. इसलिए उन्होने दंगा, माफिया जिक्र कर ध्रुवीकरण की वह दांव फिर से चला है जिसके सहारे भाजपा वर्ष 2017, वर्ष 2019 और वर्ष 2022 का चुनाव जीती थी और अब फिर निकाय चुनाव जीतने के लिए फिर से कानून व्यवस्था के मुद्दे को उठाया है.