UP Municipal Election 2023: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में शहरी सरकार चुनने के लिए सूबे के 37 जिलों में मतदाताओं ने गुरुवार को अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस पहले चरण में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अग्निपरीक्षा पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के इलाके की सीटों पर है.
इस बार इन चुनावों में विपक्षी दल भी पूरे दमखम से उतरे हैं. लखनऊ में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक में मतदान किया. जबकि योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में अपना वोट डाला.
राजनाथ सिंहलखनऊ में पार्टी के मेयर प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार करने नहीं आए, जबकि वह लखनऊ से पार्टी के सांसद हैं, लेकिन गुरुवार को अपने मताधिकार का प्रयोग करने वह लखनऊ पहुंच गए. कुल मिलकर सूबे में मतदान शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ. कुछ जिलों ने जरूर मतदाता सूची में नाम ना होने के कारण लोगों ने हंगामा किया, जिसे प्रशासन के लोगों ने सुलझा लिया.
पहले चरण में लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज मुरादाबाद, फिरोजाबाद, आगरा, सहारनपुर, मथुरा-वृंदावन और झांसी नगर निगम में महापौर (मेयर) चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को हुआ. वर्ष 2017 में इन सभी दस नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत दर्ज की थी. अब फिर इन दस नगर निगमों में भाजपा ने 2017 का इतिहास दोहराने में पूरी ताकत लगाई है.
भाजपा फिर से इन दसों सीटों को जीतने का दावा कर रही है. वहीं समाजवादी पार्टी (सपा), बसपा और कांग्रेस ने भाजपा का रिकॉर्ड तोड़कर अपनी लाज बचाने की हर संभव कोशिश की है. इन दसों नगर निगमों में से ज्यादातर में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है, वहीं आगरा में भाजपा का मुकाबला बसपा से है.
राजधानी लखनऊ, प्रयागराज, फिरोजाबाद और सहारनपुर में बसपा ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है. भाजपा ने निकाय चुनाव में सभी 17 नगर निगम में जीत के साथ 60 प्रतिशत तक वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है. लिहाजा भाजपा नेताओं के सामने सभी सीटों पर जीत के साथ जीत का अंतर बढ़ाने की भी चुनौती है.
वहीं दूसरी तरफ इस निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास मानने की वजह से इस चुनाव में सपा, बसपा के सामने खाता खोलने की चुनौती है. इस चुनाव के नतीजे भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस की चुनावी रणनीति के साथ जातीय आधार भी बताएंगे. कुल मिलाकर बृहस्पतिवार को हुए मतदान में मतदाता राजनीतिक दलों के दावों को अपनी कसौटी पर परखेगा.
सीएम योगी ने 22 जिलों में 28 सभाएं की
अब देखना यह है की वर्ष 2017 में हुए मतदान से अधिक मतदान गुरुवार को होता है या नहीं। वर्ष 2017 में तीन चरणों में वोटिंग हुई थी और उस वक्त तीनों चरणों को मिलाकर 53 प्रतिशत वोट पड़े थे. इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ता है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी. हालांकि शहरियों को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करने को कई प्रयास किए गए हैं.
खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलों -जिलों में जाकर चुनावी सभाओं को संबोधित किया था. उन्होने पहले चरण में सूबे के 37 में से 22 जिलों में चुनाव प्रचार कर भाजपा प्रत्याशियों के लिए माहौल बनाया. इस दौरान सीएम योगी ने 28 सभाएं व सम्मेलन किए हैं और अपनी सरकार के कार्यों की उपलब्धियों का जिक्र जनता के बीच किया.
24 अप्रैल से 2 मई के बीच सीएम योगी ने गोरखपुर में दो विशेष सम्मेलन व दो जनसभाएं की. वाराणसी में एक सम्मेलन व एक जनसभा की. वहीं लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह की गैर मौजूदगी का कारण चुनाव प्रचार का जिम्मा पाने ऊपर लेते हुए सीएम योगी ने भाजपा प्रत्याशी के लिए तीन रैली की.
इसके विपरीत मायावती और कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने चुनाव प्रचार ही नहीं किया. इन दोनों ही पार्टियों के राज्यस्तरीय नेताओं में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रेस कॉन्फ्रेंस कार वोट मांगे. आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया केजरीवाल भी यूपी में पार्टी प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने नहीं आए.
अखिलेश यादव जरूर कुछ जिलों में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने गए. चुनाव प्रचार में सीएम योगी द्वारा की गई मेहनत और विपक्षी नेताओं की सुस्ती को देखते हुए भाजपा नेता नगर निगम की दसों सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं.