UP Election Result 2022: बसपा को शर्मनाक प्रदर्शन से बचाने वाले कौन हैं उमाशंकर सिंह, जिन्होंने बचा ली मायावती की लाज
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 10, 2022 11:12 PM2022-03-10T23:12:57+5:302022-03-10T23:17:10+5:30
यूपी में बसपा की लाज बचाने वाले उमाशंकर सिंह रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार साल 2012 और साल 2017 में जीत दर्ज कर चुके हैं। बसपा के उमाशंकर सिंह को 87889 वोट मिले हैं, वहीं दूसरे नंबर पर रहे सुभासपा के महेंद्र चौहान को 81304 वोट मिले हैं।
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में सबसे निराशजनकर प्रदर्शन किया है। 403 सीटों में से महज एक सीट पर जीत दर्ज करने के बाद बहुजन समाज पार्टी और उसकी सुप्रीमो मायावती के राजनैतिक भविष्य पर बड़ा सवालिया खड़ा हो गया है।
बसपा के लिए यूपी चुनाव के इस बार के नतीजे इतचने शर्मनाक रहे कि लगता है कि आगामी सालों में कही बसपा का अस्तित्व ही न खतरे में पड़ जाए। इस चुनाव में दहाई का आंकड़ा तो दूर बसपा केवल बलिया के रसड़ा विधानसभा सीट पर जीत के के साथ सिमटती कर रह गई है।
यूपी में बसपा की लाज बचाने वाले उमाशंकर सिंह रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार साल 2012 और साल 2017 में जीत दर्ज कर चुके हैं। बसपा के उमाशंकर सिंह को 87889 वोट मिले हैं, वहीं दूसरे नंबर पर रहे सुभासपा के महेंद्र चौहान को 81304 वोट मिले हैं। राज्य में सत्ताधारी भाजपा रसड़ सीट पर तीसरे नंबर पर रही और उसके प्रत्याशी बब्बन राजभर को महज 24235 वोट मिले।
बलिया की छात्र राजनीति से अपनी पहचान बनाने वाले उमाशंकर सिंह रसड़ा में व्यक्तिगत तौर पर काफी लोकप्रिय हैं। साल 1990 में बलिया के एएसी कॉलेज में छात्रसंघ के महामंत्री बने। उसके बाद उमाशंकर सिंह साल 2000 में बलिया से जिला पंचायत अध्यक्ष बने। छात्रशक्ति के नाम से संगठन बनाने वाले उमाशंकर सिंह राजनीति में आने से पहले ठेकेदारी करते थे।
नये-नये गाड़ियों और हथियारों का शौक रखने वाले उमाशंकर सिंह ने चुनावी हलफनामे में बताया है कि उनके पास 8.27 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति है वहीं उनकी पत्नी भी करोड़पति हैं और उनके पास भी 9.78 करोड़ रुपये की चल-संपत्ति है।
बसपा से निर्वाचित हुए उमाशंकर सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है। साल 2012 में जब वे बसपा के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गये थे तब उनके खिलाफ एडवोकेट सुभाष चंद्र सिंह ने 18 दिसंबर, 2013 को हलफनामा देकर लोकायुक्त संगठन में शिकायत की थी कि उमांशकर सिंह विधायक पद पर रहते हुए लोक निर्माण विभाग से लिए सरकारी ठेके में शामिल हैं और ठेके से लाभ ले रहे हैं। उस मामले में जांच करते हुए तत्कालीन लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने उमाशंकर सिंह को दोषी पाया था।
जिसके बाद यूपी के तत्कालीन राज्यपाल ने उमाशंकर सिंह के खिलाफ एक्शन लेते हुए 29 जनवरी 2015 को उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया। इस फैसले के खिलाफ उमाशंकर हाईकोर्ट चले गए थे लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी वो अपनी विधायकी नहीं बचा पाये और 14 जनवरी 2017 को उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई। उस साल हुए विधानसभा चुनाव में उमाशंकर सिंह रसड़ा से दोबारा बसपा के टिकट पर खड़े हुए और चुनाव जीते।
शुक्र है कि उमाशंकर सिंह ने बलिया की रसड़ा विधानसबा सीट से 2022 में चुनाव जीतकर बसपा की इज्जत बचा ली, नहीं तो बसपा के खाता खुलने के आसार भी नहीं नजर आ रहे थे।