उत्तर प्रदेश: अयोध्या में पांच साल से कम उम्र के आधे से अधिक बच्चे कुपोषण के कारण अविकसित

By विशाल कुमार | Published: December 1, 2021 10:42 AM2021-12-01T10:42:51+5:302021-12-01T10:42:51+5:30

हॉर्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, नीति आयोग और अन्य संस्थानों द्वारा तैयार मानचित्र के आधार पर अयोध्या बच्चों का विकास रूकने के मामले में देश के 3941 विधानसभा क्षेत्रों में से 3870वें स्थान पर आता है।

up ayodhya over-half-of kids-under-5-suffer-from-chronic-malnutrition | उत्तर प्रदेश: अयोध्या में पांच साल से कम उम्र के आधे से अधिक बच्चे कुपोषण के कारण अविकसित

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

Highlightsअयोध्या में पांच साल से कम उम्र के आधे से अधिक बच्चे कुपोषण के कारण अविकसित।अयोध्या में इसकी दर 52.25 फीसदी है जबकि राष्ट्रीय स्तर 50 फीसदी है।बच्चों का सबसे कम विकास रुकने के मामले में शीर्ष 20 विधानसभा क्षेत्रों में से 16 केरल के हैं।

नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पांच साल से कम उम्र के आधे से अधिक बच्चे कुपोषण के कारण अविकसित रह गए हैं और अयोध्या में इसकी दर 52.25 फीसदी है जबकि राष्ट्रीय स्तर 50 फीसदी है।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, हॉर्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, नीति आयोग और अन्य संस्थानों ने देशभर के 3941 विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर पहली बार बच्चों के अल्पपोषण का एक मानचित्र तैयार किया है। इस हिसाब से अयोध्या बच्चों का विकास रूकने के मामले में देश के 3941 विधानसभा क्षेत्रों में से 3870वें स्थान पर आता है।

बच्चों का सबसे कम विकास रुकने के मामले में शीर्ष 20 विधानसभा क्षेत्रों में से 16 केरल के हैं

वहीं, बच्चों का सबसे कम विकास रुकने के मामले में देश के शीर्ष 20 विधानसभा क्षेत्रों में से 16 केरल के हैं। शेष चार विधानसभा क्षेत्र मध्य प्रदेश के हैं।

हालांकि, केरल के भी 26 विधानसभा क्षेत्रों में बच्चों का विकास रुकने की दर 42.8 या उससे अधिक है जो कि बिहार के जोकिहाट, लखीसराय और जमुई से अधिक है।

यूपी के कई विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति अच्छी

मानचित्र में उत्तर की तुलना में दक्षिण में औसतन कम कुपोषण पाया गया है। बिहार में 80 से अधिक और उत्तर प्रदेश में 60 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में बच्चों का विकास रुकने का स्तर 50 प्रतिशत से अधिक है।

हालांकि, उत्तर प्रदेश के कई विधानसभा क्षेत्रों में स्थिति अच्छी दिखाई देती है। उत्तर प्रदेश में थाना भवन (राष्ट्रीय रैंक 90), कैराना (रैंक 103), पुरकाजी (रैंक 117) और खतौली (रैंक 119) विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में बच्चों का विकास रुकने का स्तर 23 प्रतिशत से कम है, जो राज्य के औसत 44 प्रतिशत से काफी कम है।

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में सभी विधानसभा क्षेत्र में 50 फीसदी से कम

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में किसी भी विधानसभा क्षेत्र में बच्चों का विकास रुकने का स्तर 50 प्रतिशत से अधिक नहीं है।

बंगाल में बच्चों का विकास रुकने की दर दार्जिलिंग (राष्ट्रीय रैंक 783) में 28 प्रतिशत, टॉलीगंज (रैंक 1,191) में 30 प्रतिशत जबकि बशीरहाट दक्षिण (रैंक 2,665) और डेगंगा एवं हरोआ में 40 प्रतिशत से अधिक है, दोनों को 2,667 स्थान पर रखा गया है।

जिन बच्चों का विकास रूक जाता है उनमें अपरिवर्तनीय शारीरिक और मानसिक नुकसान होता है। ऐसे बच्चों का उम्र के हिसाब से कद कम होता है, उनके बार-बार बीमार पड़ने की संभावना होती है, स्कूल में उनका प्रदर्शन कम होता है, और उनके पुराने स्वास्थ्य विकारों से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के परिणामों को पीयर-रिव्यू जर्नल जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित किया है और उन्होंने बच्चों में विकास के रुकने, वजन कम होने, शरीर के एक अंग के कमजोर होने और एनीमिया को आधार बनाया है।

Web Title: up ayodhya over-half-of kids-under-5-suffer-from-chronic-malnutrition

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