उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनावों में अगर सबसे ज्यादा निगाहें किसी सीट के चुनाव परिणाम पर टिकी होंगी तो वह है रामपुर, जहां से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खआन की पत्नी तंजीम फातिमा सपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
रामपुर सीट पर 1952 से कोई गैर-मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीता है लेकिन इस बार यहां चतुष्कोणीय मुकाबला है क्योंकि बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने भी यहां से मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए हैं। इससे मुस्लिम वोट बंट सकता है और इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
रामपुर में आजम खान की पत्नी को मिल रही कड़ी टक्कर
रामपुर सीट से 2019 के लोकसभा चुनावों में सपा के आजम खान ने बीजेपी की जय प्रदा को बड़े अंतर से हराया था। यहां 52 फीसदी मुस्लिम और 17 फीसदी दलित मतदाता हैं।
लेकिन इन चुनावों में आजम की पत्नी के लिए रामपुर से जीत हासिल कर पाना आसान नहीं नजर आ रहा है। मुस्लिम और दलित वोटों का साथ पाकर बीएसपी यहां जीत हासिल कर सबको चौंका सकती है।
रामपुर आजम खान के यहां से 1980 में जीतने के बाद से समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है और 1996 (कांग्रेस ने जीती थी) को छोड़कर एक बार भी सपा यहां से नहीं हारी है। आजम खान यहां से नौ बार निर्वाचित हुए हैं। इस सीट का सपा के लिए महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अखिलेश यादव ने यूपी के उपचुनावों में सिर्फ रामपुर में ही चुनाव प्रचार किया।
बीजेपी ने दिया है भरत भूषण गुप्ता को टिकट
अगर यहां से बीजेपी के उम्मीदवार भरत भूषण गुप्ता जीतते हैं तो वह न सिर्फ सपा के दशकों से जारी विजय क्रम को तोड़ेंगे बल्कि इससे ये संदेश भी जाएगा कि अब मुस्लिम मतदाता भगवा पार्टियों को वोट देने में नहीं हिचकते।
हालांकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गुप्ता मजबूत उम्मीदवार नहीं हैं और ये दांव बीजेपी को भारी पड़ सकता है। गुप्ता इससे पहले 2012 विधानसभा चुनावों में बीएसपी के टिकट पर लड़े थे और महज 16570 वोट ही हासिल कर सके थे। पिछले पंचायत चुनावों में गुप्ता को महज 1623 वोट ही मिल पाए थे।
प्रशासन की सख्ती और अपने खिलाफ दर्ज कई केसों की वजह से आजम खान हाल के दिनों में रामपुर से दूर ही रहे हैं। हालांकि फिर भी उन्होंने अपनी पत्नी के प्रचार के लिए कई जनसभाओं को संबोधित किया।
रामपुर को यूपी में हो रहे 11 विधानसभा सीटों के उपचुनावों का केंद्र माना जा रहा है। लेकिन इस बार बीएसपी और कांग्रेस के भी मुकाबले में आ जाने से मुस्लिम वोटों के बंटने के आसार हैं।
बीएसपी ने यहां से पहली बार चुनाव लड़ते हुए कस्टम अधिकारी जुबैर मसूद खान को उतारा है। वहीं कांग्रेस ने रामपुर से अरशद अली को टिकट दिया गहै। उन्होंने 2012 में समाजवादी पार्टी से जुड़ने के लिए पार्टी छो़ड़ दी थी लेकिन 2017 में वापस कांग्रेस में लौट आए थे।