केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सीएम ममता बनर्जी पर साधा निशाना, कहा-कब तक चुप रहेंगी, जानें मामला
By वैशाली कुमारी | Updated: June 21, 2021 19:46 IST2021-06-21T19:46:36+5:302021-06-21T19:46:36+5:30
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि मैं अदालत का आभार व्यक्त करती हूं, क्योंकि यह उन लोगों को विश्वास दिलाएगा जिन्हें परेशान किया गया था, हत्या कर दी गई थी और जिन महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था।

खुलेआम बलात्कार किया जाता है, चाहे वह दलित हो या आदिवासी महिला।
नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा की शिकायतों की जांच के लिए एक समिति गठित करने के निर्देश को वापस लेने और उस पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है। इसके बाद अमेठी सांसद ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को भी धन्यवाद दिया है।
ईरानी ने कहा कि मैं अदालत का आभार व्यक्त करती हूं, क्योंकि यह उन लोगों को विश्वास दिलाएगा, जिन्हें परेशान किया गया था, हत्या कर दी गई थी और जिन महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था, उन्हें न्याय मिलेगा। मैं अपने लोकतंत्र में पहली बार देख रहीं हूं कि सीएम लोगों को मरते हुए देख रहे हैं क्योंकि उन्होंने उनकी पार्टी को वोट नहीं दिया है।
I express my gratitude to court as this will give believe to people who were harassed, murdered, & women who were raped that they will get justice. I'm seeing for first time in our democracy that CM is watching people dying because they didn't vote for her: Union Min Smriti Irani https://t.co/KRINh76b1vpic.twitter.com/vMPIa5hLIQ
— ANI (@ANI) June 21, 2021
उन्होंने कहा कि हमारे देश में पहली बार, चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, हजारों लोग अपने घरों/गांवों को छोड़कर सीमा पार कर रहे हैं और ममता बनर्जी और टीएमसी से माफी की भीख मांग रहे हैं। साथ ही कह रहे हैं कि वे धर्म परिवर्तन के लिए तैयार हैं।
हाल की मे टीएमसी सदस्यों द्वारा सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाते हुए 60 वर्षीय महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस घटना को याद करते हुए ईरानी ने सवाल किया कि वह (बनर्जी) और कितने बलात्कारों को चुप रहकर देखेंगी? उन्होंने कहा कि महिलाओं को उनके घरों से दूर ले जाया जाता है और खुलेआम बलात्कार किया जाता है, चाहे वह दलित हो या आदिवासी महिला।
एक 60 वर्षीय महिला यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची कि उसके 6 साल के पोते के सामने उसके साथ बलात्कार किया गया था क्योंकि वह एक भाजपा की कार्यकर्ता है। वह चुप रहकर और कितने बलात्कार देखेंगी ? क्या आम आदमी अपने राज्य में सुरक्षित है? मैं उन लोगों से सवाल करना चाहती हूं जो खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं, उन्होंने प्रेस क्लब के सामने बलात्कार की शिकार महिलाओं के लिए कोई जुलूस क्यों नहीं निकाला।