केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एमपीलैड योजना को बहाल करने का फैसला किया

By भाषा | Published: November 10, 2021 08:16 PM2021-11-10T20:16:17+5:302021-11-10T20:16:17+5:30

Union Cabinet decided to reinstate the MPLAD scheme | केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एमपीलैड योजना को बहाल करने का फैसला किया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एमपीलैड योजना को बहाल करने का फैसला किया

नयी दिल्ली, 10 नवंबर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) को बहाल करने की मंजूरी दे दी। एक सांसद को 2021-22 की शेष अवधि के दौरान विकास गतिविधियों के लिए दो करोड़ रुपये और उसके बाद सालाना पांच करोड़ रुपये मिलेंगे।

एमपीलैड योजना को अप्रैल 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था और इसका धन भारत के समेकित कोष में चला गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए योजना को बहाल कर दिया गया है। यह योजना 2025-26 तक जारी रहेगी।

ठाकुर ने कहा कि 2021-22 की शेष अवधि के लिए प्रत्यक सांसद को एक किस्त में दो करोड़ रुपये की राशि जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि 2022-23 से 2025-26 तक प्रत्येक सांसद को पांच करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की दर से 2.5 करोड़ रुपये की राशि दो किस्तों में जारी की जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के दौरान, मंत्रिमंडल द्वारा निर्णय लिया गया था कि दो साल, 2020-21 से 2021-22 तक, एमपीलैड योजना के धन का उपयोग महामारी से निपटने में किया जाएगा। सभी सांसदों ने भी उत्साह के साथ कोविड के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने के लिए अपनी सहमति दी थी।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आर्थिक परिदृश्य में सुधार के मद्देनजर, जिस तरह से आर्थिक सुधार हुआ है और हमने विभिन्न क्षेत्रों में भी विकास देखा है, वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए एमपीलैड योजना को बहाल करने का निर्णय लिया गया है।’’

पिछले साल अप्रैल में सरकार ने एमपीलैड को दो साल 2020-21 और 2021-22 के लिए निलंबित कर दिया था और कहा था कि कुल 7,900 करोड़ रुपये की धनराशि का उपयोग स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार और कोविड-19 महामारी से निपटने में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के लिए किया जाएगा। सरकार ने सांसदों के वेतन में भी 30 फीसदी की कटौती की थी।

इस योजना के तहत सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हर साल पांच करोड़ रुपये तक के विकास कार्यक्रमों की सिफारिश कर सकते हैं।

एमपीलैड योजना को स्थगित करने के फैसले पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी और इसे बहाल करने की मांग की थी। कांग्रेस ने कहा था कि यह एक सांसद की भूमिका को कमजोर करेगा और फैसले की समीक्षा की मांग की थी। वाम दलों और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी निर्णय के लिए सरकार की आलोचना की थी। टीएमसी ने इस कदम को ‘मनमाना’ और ‘अलोकतांत्रिक’ करार दिया था, जबकि शिवसेना ने इसे ‘एकतरफा’ फैसला बताया था और कहा था कि बिना किसी से सलाह किए यह निर्णय किया गया। कई सांसदों ने बाद में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एमपीएलैड योजना को बहाल करने की मांग की थी।

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Web Title: Union Cabinet decided to reinstate the MPLAD scheme

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