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लश्कर ए तैयबा को नहीं माना आतंकी संगठन, PoK को बताया आजाद: यूएन मानवाधिकार रिपोर्ट पर भारत की तीखी प्रतिक्रिया

By आदित्य द्विवेदी | Updated: June 16, 2018 13:33 IST

संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट जारी की और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की

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नई दिल्ली, 16 जूनः संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार हाई कमिश्नर (OHCHR) ने जम्मू और कश्मीर पर मानवाधिकार उल्लंघन पर जारी रिपोर्ट पर विवाद नहीं थम रहा है। इसकी शब्दावली पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। इस रिपोर्ट में लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी संगठनों को 38 बार 'सैन्य समूह' कहा गया है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को रिपोर्ट में 26 बार 'आजाद कश्मीर' कहा गया है। इस रिपोर्ट में आतंकियों को संगठनों के नेता कहा गया है। भारत ने इस रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई शब्दावली को संयुक्त राष्ट्र का उल्लंघन बताया है। इसकी शिकायत रिपोर्ट के लेखक और हाई कमिश्नर जैद राद अल हुसैन के कार्यालय में की है। भारत ने 12 जून को अपनी आपत्तियां भेजी थी लेकिन उसके बावजूद इसमें बिना सुधार किए रिपोर्ट जारी कर दी गई। इस रिपोर्ट में कश्मीर और पीओके में मानवाधिकार उल्लंघनों की अंतर्राष्ट्रीय जांच की मांग की गई है।

रिपोर्ट में शामिल अन्य प्रमुख बातेंः-

- मानवाधिकार उल्लंघन की अतीत की और मौजूदा घटनाओं के तुरंत समाधान की जरूरत है। कश्मीर में राजनीतिक स्थिति के किसी भी समाधान में हिंसा का चक्र रोकने के संबंध में प्रतिबद्धता और पूर्व में तथा मौजूदा मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर जवाबदेही होनी चाहिए।

- नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ लोगों पर नुकसानदेह असर पड़ा है और उन्हें मानवाधिकार से वंचित किया गया या सीमित किया गया।

- जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती क्योंकि जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुयी सरकार है जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मनमाने तरीके से पाकिस्तानी राजनयिक को वहां का प्रमुख नियुक्त किया जाता है।

- इस रिपोर्ट में 'जून 2016 से अप्रैल 2018 तक भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर में घटनाक्रम, और आजाद जम्मू कश्मीर तथा गिलगित-बालटिस्तान में मानवाधिकार से जुड़ी आम चिंताएं’ विषय को शामिल किया गया है।

- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1980 के दशक के अंत से जम्मू कश्मीर राज्य में विभिन्न तरह के हथियारबंद समूह सक्रिय हैं। 

- भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शन का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है।

- रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इन समूहों को किसी भी तरह के समर्थन से पाकिस्तान सरकार के इंकार के दावों के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा के पार कश्मीर में उनकी गतिविधियों में सहयोग करती है।’’

- रिपोर्ट में सशस्त्र बल (जम्मू कश्मीर) विशेषाधिकार कानून, 1990 को तुरंत निरस्त करने और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपी सुरक्षा बलों के खिलाफ अदालतों में मुकदमा चलाने के लिए केंद्र सरकार से पूर्व की अनुमति की बाध्यता को भी हटाने की मांग की गयी है।

भारत ने विरोध में क्या कहाः-

- रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए भारत ने इसे ‘भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और प्रेरित’’ बताकर खारिज कर दिया और संयुक्त राष्ट्र में अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया। 

- विदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से पूर्वाग्रह से प्रेरित है और गलत तस्वीर पेश करने का प्रयास कर रही है। 

- मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यह देश की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है।

- मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है। सम्पूर्ण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। पाकिस्तान ने भारत के इस राज्य के एक हिस्से पर अवैध और जबरन कब्जा कर रखा है।

मानवाधिकार परिषद करेगा फैसलाः-

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा कि मानवाधिकार मामलों के प्रमुख ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की उच्च स्तरीय स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की जो मांग की है उसके बारे में आगे क्या कदम उठाना है इसके बारे में फैसला संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य लेंगे।

PTI-Bhasha Inputs

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