कोविड के खिलाफ दो-तिहाई भारतीयों में है एंटीबॉडी, अन्य 40 करोड़ को अब भी संक्रमण का खतरा:सरकार

By भाषा | Updated: July 20, 2021 22:37 IST2021-07-20T22:37:35+5:302021-07-20T22:37:35+5:30

Two-thirds of Indians have antibodies against Kovid, another 400 million are still at risk of infection: Government | कोविड के खिलाफ दो-तिहाई भारतीयों में है एंटीबॉडी, अन्य 40 करोड़ को अब भी संक्रमण का खतरा:सरकार

कोविड के खिलाफ दो-तिहाई भारतीयों में है एंटीबॉडी, अन्य 40 करोड़ को अब भी संक्रमण का खतरा:सरकार

नयी दिल्ली, 20 जुलाई भारत में चार महीने में कोविड-19 के एक दिन में सबसे कम मामले सामने आने के बीच सरकार ने मंगलवार को कहा कि एक सीरो सर्वे में पाया गया है कि छह साल से अधिक आयु की देश की आबादी के दो-तिहाई हिस्से में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी पाई गई है। लेकिन जोर देते हुए यह भी कहा कि करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा है और ढिलाई के लिए कोई जगह नहीं है।

जून और जुलाई में किये गये भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के चौथे राष्ट्रीय कोविड सीरो सर्वे में कुल 67.6 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाई गई। 21 राज्यों के 70 जिलों में किये गये इस सर्वे में 28,975 से अधिक लोगों (वयस्कों और बच्चों) के अलावा 7,252 स्वास्थ्य कर्मियों को भी शामिल किया गया था। इन्हीं जिलों में तीन दौर का सर्वे भी किया गया था।

सरकार ने कहा कि छह से नौ वर्ष के आयु समूह में एंटीबॉडी 57.2 प्रतिशत, 10-17 वर्ष आयु समूह में 61.6 प्रतिशत, 18-44 वर्ष में 66.7 प्रतिशत, 45-60 वर्ष आयुसमूह में 77.6 प्रतिशत और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में 76. 7 प्रतिशत एंटीबॉडी पाई गई।

दिसंबर-जनवरी 2021 में किये गये तीसरे दौर के सीरो सर्वे में एंटीबॉडी 24.1 प्रतिशत पाई गई थी।

सरकार के मुताबिक सर्वेक्षण में शामिल किये गये स्वास्थ्य कर्मियों में 85 प्रतिशत में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटीबॉडी है और स्वास्थ्य कर्मियों में 10 प्रतिशत का अब तक टीकाकरण नहीं हुआ है।

सरकार ने कहा कि सर्वे के नतीजों से उम्मीद की एक किरण नजर आ रही है लेकिन ढिलाई के लिए कोई जगह नहीं है और कोविड से जुड़े नियमों का अनुपालन तथा सामुदायिक भागीदारी जारी रखनी होगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार के अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक भारत में 125 दिन में कोविड-19 के एक दिन में सबसे कम 30,093 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 3,11,74,322 हो गए।

सुबह आठ बजे जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, देश में 374 और लोगों की संक्रमण से मौत हो जाने के बाद कुल मृतक संख्या बढ़कर 4,14,482 हो गई। वहीं, उपचाराधीन मरीजों की संख्या भी कम होकर 4,06,130 हो गई है, जो पिछले 117 दिन में सबसे कम है।

उपचाराधीन मरीजों की संख्या कुल संक्रमितों का 1.30 प्रतिशत है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सभी स्रोतों से अब तक टीके की 42.15 करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध कराई गई है।

आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ताजा राष्ट्रीय सीरो सर्वे में छह साल से अधिक आयु के आम लोगों की आबादी के दो तिहाई हिस्से में 67.6 प्रतिशत सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी पाई गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक तिहाई आबादी में सार्स-सीओवी एंटीबॉडी नहीं पाई गई, जिसका मतलब है कि करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा है। ’’

भार्गव ने कहा कि बगैर एंटीबॉडी वाले लोगों को संक्रमण की लहर से खतरा है।

उन्होंने बताया कि आधे से अधिक बच्चों (6-17 वर्ष आयु समूह) में एंटीबॉडी पाई गई, जो ग्रामीण और शहरी इलाकों में एकसमान है।

वयस्कों की आबादी में सर्वे में शामिल किये गये 12,607 लोगों को टीका नहीं लगा है, जो 62.2 प्रतिशत है जबकि 24.8 प्रतिशत या 5,038 लोगों को टीके की एक खुराक लगी है, वहीं 13 प्रतिशत या 2,631 को दोनों खुराक लगी है।

भार्गव ने यह भी कहा कि भारत में स्कूलों को फिर से खोलने की शुरूआत प्राथमिक विद्यालयों से करना समझदारी भरा कदम होगा। उन्होंने कहा कि चूंकि बच्चों में कम संख्या में ‘ऐस रिसेप्टर’ होते हैं जिनमें वायरस चिपकते हैं, ऐसे में वे वयस्कों की तुलना में वायरस संक्रमण से कहीं बेहतर निपट सकते हैं।

‘ऐस रिसेप्टर’ ऐसे प्रोटीन होते हैं जो कोरोना वायरस के प्रवेश द्वार होते हैं। इनमें वायरस चिपक जाता है और कई सारी मानव कोशिकाओं को संक्रमित कर देता है।

ग्रामीण इलाकों में एंटीबॉडी 66.7 प्रतिशत लोगों में, जबकि शहरी इलाकों में 69.6 प्रतिशत लोगों में पाई गई।

टीकाकरण स्थिति के मुताबिक टीका नहीं लगवाने वाले 62.3 प्रतिशत लोगों, एक खुराक लेने वाले 81 प्रतिशत लोगों जबकि दोनों खुराक ले चुके 89.8 प्रतिशत लोगों में यह पाई गई।

मई-जून 2020 में किये गये प्रथम सीरो सर्वे में 0.7 प्रतिशत लोगों में, अगस्त-सितंबर 2000 में 7.1 प्रतिशत, दिसंबर-जनवरी में किये गये सीरो सर्वे में 24.1 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाई गई।

भार्गव ने कहा कि यहां एक महत्वपूर्ण बात यह याद रखने की जरूरत है कि राष्ट्रीय सीरो सर्वे स्थानीय (राज्य या जिला) स्तर के सर्वे का विकल्प नहीं है। यह देश में स्थिति का सिर्फ एक साधारण अनुमान भर है।

उन्होंने कहा कि लेकिन राज्य दर राज्य इसमें विविधता है। राज्य स्तर पर विविधिता संक्रमण के भविष्य की लहर का संकेत देता हे।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 से जुड़े नियमों का पालन करने पर जोर देते हुए कहा कि सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक समागम से दूर रहना चाहिए और अनावश्यक यात्राएं टालनी चाहिए और पूरी तरह से टीकाकरण कराने के बाद ही यात्रा करनी चाहिए।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा कि 40 करोड़ लोगों में एंटीबॉडी नहीं है और महामारी खत्म नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि दूसर लहर अब भी मौजूद है और महामारी का नया प्रकोप भी अब तक है।

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि 40 करोड़ लोगों में एंटीबॉडी नहीं है, इसलिए हमे टीकाकरण के जरिए उनकी सुरक्षा करनी होगी। ’’

भार्गव ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों का यथाशीघ्र पूर तरह से टीकाकरण सुनिश्चित करने, जोखिम वाले आबादी समूह में टीकारण कवरेज तेजी से बढ़ाने की जरूरत का भी जिक्र किया।

देश में महामारी की स्थिति पर पॉल ने कहा कि केरल में अब भी मामलों में हल्की वृद्धि हो रही है जबकि महाराष्ट्र में कुछ कमी देखी जा रही है। आंध्र प्रदेश अब भी चिंता का कारण है और 46 जिलों में 10 प्रतिशत से अधिक संक्रमण दर है।

उन्होंने आगाह किया, ‘‘कुछ राज्यों में 10 प्रतिशत से अधिक संक्रमणदर है। यह इस बात का गवाह है कि एंटीबॉडी का यह स्तर यह सुनिश्चित नहीं करता है कि महामारी खत्म हो गई है। ’’

कुछ राज्यों में टीके की कमी पर पॉल ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को टीकों की उपलब्धता के बारे में दो हफ्ते पहले सूचित किया जा रहा है ताकि वे इसके अनुरूप योजना बना सकें।

कोवैक्सीन के उत्पादन के बारे में सवाल किये जाने पर पॉल ने कहा कि कंपनी ने अपने विस्तार के तहत हैदराबाद इकाई के अलावा अंकलेश्वर और बेंगलुरु स्थित इकाइयां जोड़ी हैं।

उन्होंने कहा कि बेंगलुरु इकाई में शुरूआती संचालन में कुछ दिक्कतें थी लेकिन उन्हें दूर कर दिया गया है।

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