तीन तलाकः लोकसभा में बोलीं मीनाक्षी लेखी, 1400 साल पहले की कुरीतियों को अब लागू नहीं रखा जा सकता
By रामदीप मिश्रा | Published: December 27, 2018 03:38 PM2018-12-27T15:38:23+5:302018-12-27T15:39:20+5:30
मीनाक्षी लेखी ने पूछा कि पवित्र कुरान की किस सुरा में तारक-ए-बिद्दत का उल्लेख है? यह मुद्दा महिला बनाम पुरुष नहीं है। ये मानव अधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा है।
लोकसभा के गुरुवार को तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक पर चर्चा हो रही है। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि मैं यहां उन लोगों से पूछना चाहूंगी जो इस तीन तलाक बिल का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने पूछा कि पवित्र कुरान की किस सुरा में तारक-ए-बिद्दत का उल्लेख है? यह मुद्दा महिला बनाम पुरुष नहीं है। ये मानव अधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा है।
वहीं, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधान सेवक की सेवाओं के लाभ से मुस्लिम महिलाओं को वंछित नहीं रखा जा सकता। हमारी सरकार महिला को सशक्त नहीं बल्कि सशक्त महिलाओं के द्वारा ही उनके सशक्तिकरण की बात कर रही है।
उन्होंने विरोधिधियों पर तंज कसते हुए कहा है कि आपको (विपक्ष) शर्म आनी चाहिए। वहीं, उन्होंने कविता के जरिए हमला बोलते हुए कहा, 'कभी संगीन कभी मजाक बन जाएगा, मिट्टी का शरीर खाक बन जाएगा, जरा एतिहात बरत रकीब मेरे, ना जाने कौन सा टेलीफोन तलाक बन जाएगा।' उन्होंने कहा कि 1400 साल पहले की कुरीतियों को अब लागू नहीं रखा जा सकता।
मीनाक्षी लेखी ने सबरीमाला का जिक्र करते हुए कहा कि यह धार्मिक मामला है, लेकिन यहां मामला अधिकारों का, लैंगिक समानता का मामला भी है जो कि संविधान के दायरे में है। जो लोग सबरीमाला कर रहे हैं वो अगर शशि थरुर का ट्वीट भी पढ़ लेते तो समझ आ जाता, उन्होंने भी कहा कि सबरीमाला का मामला धार्मिक मामला है।
वहीं, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक पर FIR का दुरुयोग नहीं होगा। यह महिलाओं को सम्मान देने का बिल है। किसी के खिलाफ दुर्भावना नहीं है।
आपको बता दें, तीन तलाक को दंडात्मक अपराध घोषित करने वाला यह विधेयक गत 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। यह तीन तलाक से संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है। इस प्रस्तावित कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा तथा इसके लिए तीन साल तक की सजा हो सकती है।