तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश कर दिया गया है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में बिल को पेश करते हुए ध्वनिमत से पारित करने की अपील की। लेकिन कांग्रेस और टीएमसी ने बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने सरकार से कहा कि इस बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए। इसके बाद सदन भारी हंगामा शुरू हो गया। इसके चलते राज्यसभा स्थगित कर दी गई।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कल (मंगलवार ) यूपी में ट्रिपल तलाक का मामला सामने आया। वहीं, कांग्रेस ने ट्रिपल तलाक पर बिल का लोकसभा में समर्थन किया, लेकिन राज्यसभा में उसका पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण नजर आया। लोकसभा में कांग्रेस ने बिल का मजबूरी में समर्थन किया क्योंकि वहां उनकी संख्या कम थी, लेकिन अब देश के सामने कांग्रेस का पाखंड और दोहरा चरित्र सामने आ गया।
उन्होंने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि आपने एक सदन में बिल का समर्थन किया और दूसरे सदन में आप इसे पास होने से रोकना चाहते हैं।
-तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में चर्चा शुरू
लोकसभा में तीन तलाक बिल को लेकर सरकार को आसानी से जीत हासिल हुई लेकिन असली चुनौती राज्यसभा में है। विपक्ष इस मामले में खुलकर विरोध नहीं कर रही है, पर इस प्रस्तावित कानून में तीन बार तलाक कहने पर पति के ऊपर आपराधिक मुकदमा किए जाने के खिलाफ है। लोकसभा से जो बिल पास हुआ है उसमें 3 साल की जेल का प्रावधान है। इसपर विपक्षी पार्टियों का कहना कि सिविल मामले को क्रिमिनल मामला बनाना ठीक नहीं है, क्योंकि ऐसे कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है। अब इस बात की संभावना है कि विरोध के मद्देनजर सरकार इसे संसदीय समिति के पास विचार के लिए भेज दे।
क्यों हैं राज्यसभा में चुनौती
राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं। राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 29 दिसंबर 2017 तक उच्च सदन की सात सीटें रिक्त हैं। यानी इस वक्त सदन में 238 सांसद हैं। अगर सभी सांसद मतदान के दौरान मौजूद रहते हैं तो सरकार को तीन तलाक विधेयक पारित कराने के लिए कम से कम 120 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। एनडीए (जदयू समेत) के पास राज्य सभा में इस समय 86 सांसद हैं। तीन तलाक विधेयक पारित कराने के लिए उसे 34 और सांसदों का समर्थन चाहिए होगा।
क्या है ये बिल
इस बिल के कानून बनने के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर अपनी पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा। हालांकि इंस्टेंट तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को गैर-कानूनी माना जाएगा। बिल में दिए गए प्रावधानों के मुताबकि बोलकर, लिखकर, मैसेज करके या किसी भी रूप में दिया गया तीन तलाक अवैध माना जाएगा और ऐसा करने पर दोषी के खिलाफ न सिर्फ कानूनी कार्रवाई बल्कि तीन साल तक की सजा जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
इस बिल के मुताबिक तीन तलाक देना गैर-जमानती अपराध होगा। यदि कोई ऐसा अपराध करता है तो न्यायधीश तय करेंगे कि अपराधी को कितना जुर्माना देना होगा। गौरतलब है कि बीती 22 अगस्त सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया था।