तीन तलाक विधेयक के खिलाफ एक्टिविस्ट-बुद्धिजीवी, भेजेंगे वेंकया, मेनका और राहुल के पास याचिका

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 4, 2018 08:46 PM2018-01-04T20:46:23+5:302018-01-04T20:48:14+5:30

मुस्लिम महिला विवाह (अधिकार एवं संरक्षण) विधेयक 2017 लोक सभा में पारित हो चुका है।

Triple Talaq Bill: Activists and Intellectuals Started Online Petition Against Modi Government Bill | तीन तलाक विधेयक के खिलाफ एक्टिविस्ट-बुद्धिजीवी, भेजेंगे वेंकया, मेनका और राहुल के पास याचिका

तीन तलाक विधेयक के खिलाफ एक्टिविस्ट-बुद्धिजीवी, भेजेंगे वेंकया, मेनका और राहुल के पास याचिका

जेंडर जस्टिस एंड माइनरिटी राइट्स सिटिजन नामक संगठन ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे तीन तलाक विधेयक के खिलाफ ऑनलाइन याचिका शुरू की है। संगठन ये याचिका उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भेजेगा। याचिका में तलाक-ए-बिद्दत को आपराधिक बताए जाने की आलोचना की गयी है। 28 अक्टूबर 2017 को लोक सभा में मुस्लिम महिला विवाह (अधिकार एवं संरक्षण) विधेयक 2017 पारित हुआ। मोदी सरकार ने तीन जनवरी को ये विधेयक राज्य सभा में पेश किया। चार जनवरी को राज्य सभा में दूसरे दिन फर बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस विधेयक को लेकर गतिरोध बना रहा है। कांग्रेस विधेयक को संसद की सेलक्ट कमेटी को भेजना चाहती है जिस पर सरकार राजी नहीं है। 

याचिका में कहा गया है, "इस विधेयक का मकसद मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना है ये लेकिन अपने मौजूदा स्वरूप में ये उनके लिए लाभ से ज्यादा हानि पहुंचाएगा।" याचिका में अपील की गयी है कि सरकार विधेयक के मसौदे पर मुस्लिम महिलाओं के लिए काम करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं से व्यापक परामर्श करे। 

याचिका में दावा किया गया है कि तीन तलाक विधेयक का मौजूदा स्वरूप परस्पर-विरोधी प्रावधानों से भरा हुआ है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार इस विधेयक से मुस्लिम महिलाओं को नए तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। याचिका में कहा गया है, "इस विधेयक में किसी तीसरे पक्ष को आपराधिक मामला दर्ज कराने का अधिकार दिया गया है जो बहुत ही खतरनाक है।" याचिककर्ताओं ने सवाल उठाया है कि मौजूदा विधेयक में तलाक-ए-बिद्दत के मामले को अदालत में निपटाने के लिए किसी निश्चित समय सीमा का जिक्र नहीं है जो चिंता की बात है। 

याचिकाकर्ताओं ने ध्यान दिलाया है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही अगस्त 2017 में यह व्यवस्था दे चुका है कि एक बार में तीन बार तलाक बोलकर तलाक देना गैर-कानूनी है। इसके अलावा मुस्लिम महिलाएं घरेलू उत्पीड़न की धाराओं के तहत भी सुरक्षित हैं। याचिकाकर्ताओं ने भी मांग की है कि विधेयक के सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए। 

इस याचिका को प्रमुख हस्ताक्षकर्ताओं में सामाजिक कार्यकर्ता फालविया एग्नेश, प्रोफेसर फैजान मुस्तफा, प्रोफेसर अबुसालेह शरीफ, प्रोफेसर एस परसुमरमन, प्रोफेसर अपूर्वानंद, प्रोफेसर विभूति पटेल, प्रोफेसर तनिका सरकार, प्रोफेसर सुमित सरकार और वरिष्ठ पत्रकार नासिरुद्दीन हैदर खान शामिल हैं।

Web Title: Triple Talaq Bill: Activists and Intellectuals Started Online Petition Against Modi Government Bill

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