मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी के निधन की खबर से राजनीतिक दलों में सन्नाटा पसर गया. किसी ने उन्हें व्यवहार में कड़क और सच्चे मृदुभाषी राजनेता बताकर श्रद्धांजलि दी, तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें सादा जीवन उच्च विचार वाला राजनेता बताया. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वर्गीय जोशी के निधन पर कहा कि मध्यप्रदेश में एक अनमोल हीरा खो दिया है. भाजपा ही नहीं बल्कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं में उनकी छवि कड़क व्यवहार वाले, लेकिन सीधे और सच्चे राजनेता के रुप में थी.
मध्यप्रदेश में जनसंघ और फिर भाजपा को मजबूत करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के निधन की खबर से आज राजनीतिक हल्कों में सन्नाटा पसरा रहा. सभी दलों के राजनेताओं ने उन्हें स्वच्छ और ईमानदार छवि वाला राजनेता बताते हुए अपनी श्रद्धांजलि दी. राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि स्वर्गीय जोशी सादा जीवन उच्च विचार वाले राजनेता थे. जीवन पर्यंत वे मूल्य और सिद्धांतों के प्रति समर्पित रहे. उन्होंने कभी समझौता नहीं किया. उनका निधन प्रदेश के लिए बड़ी क्षति है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने स्वर्गीय जोशी को मध्यप्रदेश की राजनीति को नई दिशा देने वाला राजनेता बताया. उन्होंने कहा कि वे निर्धन और कमजोर की आवाज, विनम्र व मृदुभाषी राजनेता के अवसान के साथ ही एक युग का अंत हो गया. उन्होंने कहा कि अपनी मधुर वाणी से सहज ही लोगों का हृदय जीत लेने वाले प्रखर वक्ता, राजनीति के अजातशत्रु, स्वर्गीय जोशी के अद्वितीय प्रशासकीय गुणों के सभी प्रशंसक थे. हम सब उनके सपनों के गौरवशाली, वैभवशाली और समर्थ मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं. चौहान ने कहा कि आज मध्यप्रदेश ने अपने एक अनमोल रत्न को खो दिया है.
कैलाश जोशी का राजनीतिक सफर
* कैलाश जोशी का जन्म 14 जुलाई 1929 देवास जिले की हाटपिपल्या तहसील में हुआ था. 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना के बाद से उसके सदस्य बने और 1954 से 1960 तक देवास जिले में जनसंघ के मंत्री रहे. 1955 में वे हाटपीपल्या नगरपालिका के अध्यक्ष बने. 1962 से लगातार 7 विधानसभा चुनाव बागली सीट से जीते. 1980 में भाजपा के गठन के बाद उसके प्रदेश अध्यक्ष बने और 1984 तक इस पद पर रहे.
* जोशी वर्ष 1961 से प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य और सन 1972 से अद्यतन भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्य समिति एवं राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य रहे.
* देश से इमरजेंसी हटने के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह पराजित होना पड़ा था. मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा और जनता पार्टी ने 320 में 231 सीटें जीतीं. इस चुनाव में मिली जीत के बाद सर्वसम्मति से कैलाश जोशी को मुख्यमंत्री बनाया गया. जोशी इस तरह प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे. जोशी ने राज्य के दसवें मुख्यमंत्री के रुप में 24 जून 1977 को शपथ ली थी. इसके बाद अस्वस्थ्ता के चलते उन्होंने 17 जनवरी 1978 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले जोशी 1972 से 1977 तक नेता प्रतिपक्ष रहे थे.
* आपातकाल में एक माह भूमिगत रहने के बाद दिनांक 28 जुलाई 1975 को विधानसभा के द्वार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था. वे 19 माह तक मीसा में नजरबंद रहे.
* 1990 में हुए चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला. सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री बनाए गए. इससे खफा जोशी पटवा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए. हालांकि बाद में करीब छह माह बाद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए मनाया गया और उन्हें ऊर्जा मंत्री बनाया. हालांकि अयोध्या कांड के बाद दिसंबर 1992 में भाजपा की पटवा सरकार बर्खास्त कर दी गई. जोशी 1993 में भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे.
* 1998 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार मिली. इसके बाद भाजपा ने कैलाश जोशी को राज्यसभा में भेजा. बाद में वर्ष 2002 में भाजपा में अंदरुनी कलह बढ़ती नजर आई तो फिर संगठन ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी जोशी को सौंपी और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.
* वर्ष 2004 में कैलाश जोशी ने भोपाल से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद यहां से उनकी ये जीत 2014 तक बरकरार रही. 2014 में जोशी को भोपाल संसदीय क्षेत्र से उम्र का हवाला देकर चुनाव न लड़ाने की बात कही गई. इसे लेकर वे नाराज भी रहे. हालांकि उन्होंने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भोपाल से चुनाव लड़ाए जाने पर सीट खाली करने की बात भी कही थी. बाद में जोशी को भोपाल से मैदान में नहीं उतारा, लेकिन, भाजपा ने उनकी बात रखते हुए उनके पुत्र दीपक जोशी के मित्र आलोक संजर को भाजपा उम्मीदवार बना दिया, जो अच्छे वोटों से जीते.