ट्रेड यूनियन हड़ताल: पश्चिम बंगाल में 175 लोकल ट्रेन रद्द, देश में बैंकिंग सेवाओं पर असर, लोग दिखे परेशान

By भाषा | Published: January 8, 2020 05:06 PM2020-01-08T17:06:05+5:302020-01-08T17:06:05+5:30

रेलवे प्रवक्ता ने बताया कि हड़ताल समर्थकों द्वारा रेल पटरियों पर बाधा खड़ी करने के कारण पूर्वी रेलवे जोन के सियालदह और हावड़ा मंडल में कम से कम 175 लोकल ट्रेन रद्द कर दी गयीं। प्रवक्ता संजय घोष ने कहा कि दक्षिण पूर्वी रेलवे के हावड़ा-खड़गपुर खंड में पटरियों पर कुछ जगहों पर दस मिनट से लेकर आधे घंटे तक अवरोधक रखे गए थे लेकिन किसी ट्रेन को रद्द नहीं किया गया।

Trade union strike: 175 local trains canceled in West Bengal, impact on banking services in the country, people see upset | ट्रेड यूनियन हड़ताल: पश्चिम बंगाल में 175 लोकल ट्रेन रद्द, देश में बैंकिंग सेवाओं पर असर, लोग दिखे परेशान

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का बुधवार को कई प्रकार की बैंकिंग सेवाओं पर देश भर में असर दिखा।

Highlightsपूर्वी रेलवे के प्रवक्ता निखिल चक्रवर्ती ने कहा कि सियालदह मंडल हड़ताल से सर्वाधिक प्रभावित रहा।हावड़ा मंडल में 47 और ईएमयू लोकल को रद्द किया गया और दस मेल तथा एक्सप्रेस ट्रेनों का रास्ता रोका गया।

दस ट्रेड यूनियनों की ओर से बुधवार को बुलाई गयी देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में आए लोगों ने शहर के पड़ोसी जिलों और उपनगरों में ट्रेन सेवा बाधित की। रेलवे अधिकारियों ने यहां जानकारी दी।

रेलवे प्रवक्ता ने बताया कि हड़ताल समर्थकों द्वारा रेल पटरियों पर बाधा खड़ी करने के कारण पूर्वी रेलवे जोन के सियालदह और हावड़ा मंडल में कम से कम 175 लोकल ट्रेन रद्द कर दी गयीं। प्रवक्ता संजय घोष ने कहा कि दक्षिण पूर्वी रेलवे के हावड़ा-खड़गपुर खंड में पटरियों पर कुछ जगहों पर दस मिनट से लेकर आधे घंटे तक अवरोधक रखे गए थे लेकिन किसी ट्रेन को रद्द नहीं किया गया।

पूर्वी रेलवे के प्रवक्ता निखिल चक्रवर्ती ने कहा कि सियालदह मंडल हड़ताल से सर्वाधिक प्रभावित रहा जहां सुबह से 128 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। हावड़ा मंडल में 47 और ईएमयू लोकल को रद्द किया गया और दस मेल तथा एक्सप्रेस ट्रेनों का रास्ता रोका गया।

चक्रवर्ती ने कहा कि सभी मंडलों में ट्रेन सेवाएं अवरोधक हटाने के बाद दोपहर एक बजे तक सामान्य हो गईं। उत्तरी सियालदह खंड में अशोक नगर और हाबरा जैसी जगहों पर बिजली के तारों के ऊपर केले के बड़े बड़े पत्ते फेंके गए और सियालदह दक्षिणी खंड में देउला और मगरहट स्टेशनों पर ट्रेन को रोकने के लिए पटरी पर रेलवे स्लीपर रख दिए गए। इन अवरोधकों को रेलवे अधिकारियों द्वारा हटवाया गया। 

ट्रेड यूनियनों द्वारा देशव्यापी बंद के आह्वान का बुधवार को उत्तराखंड में कोई खास असर देखने को नहीं मिला। हालांकि, कुछ संगठनों ने यहां आइएसबीटी परिसर में धरना दिया। राष्ट्रव्यापी बंद को सांकेतिक समर्थन देते हुए कुछ संगठनों के कार्यकर्ता आइएसबीटी परिसर के अंदर धरने पर बैठे और नारे भी लगाये लेकिन इससे बसों की आवाजाही प्रभावित नहीं हुई। प्रदेश में बैंकिंग सेवायें भी प्रभावित नहीं हुईं और ज्यादातर बैंकों ने रोजाना की तरह अपना कामकाज किया। देहरादून में एक प्रमुख बैंक के शाखा प्रबंधक ने कहा कि आज हमारे बैंक में सामान्य तरीके से कामकाज हुआ। 

केरल,बंगाल, असम में जनजीवन प्रभावित

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का बुधवार को कई प्रकार की बैंकिंग सेवाओं पर देश भर में असर दिखा लेकिन आवश्यक सेवाएं सामान्य रहीं। वामपंथी दलों की सरकार वाले पश्चिम बंगाल और केरल में व पूर्वोत्तर राज्य असम में हड़ताल से सड़क और रेल यातायात भी प्रभावित रहा।

यूनियनों ने केंद्र की आर्थिक नीतियों को मजदूर और जनविरोधी बताते हुए इस एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया है। बुधवार को अधिकांश जगह बैंकों की शाखाएं खुली हुई थीं लेकिन बैंक कर्मचारियों के हड़ताल का समर्थन करने से देश में कई जगह बैंकों में नकदी जमा करने और निकालने समेत कई सेवाएं प्रभावित हुईं।

त्रिपुरा जैसे कुछ स्थानों पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों की कई शाखाएं बंद रहीं। सरकारी विभागों के कामकाज पर हड़ताल का असर नहीं पड़ा है। इस दौरान, ट्रेड यूनियनों ने जगह जगह छोटे-मोटे धरने-प्रदर्शन भी किए। ट्रेड यूनियनों ने दावा किया था कि हड़ताल में करीब 25 करोड़ लोग शामिल होंगे।

वाम मोर्चा शासित केरल में करीब-करीब हर जगह असर दिखा

देशभर में कहीं पर भी जरूरी सेवाओं पर असर पड़ने की कोई खबर नहीं है। अधिकांश जगहों पर रेल सेवाएं प्रभावित नहीं हुईं जबकि बिजली उत्पादन, तेल रिफाइनरी और पेट्रोल पंप सामान्य रूप से चलते रहे। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का वाम मोर्चा शासित केरल में करीब-करीब हर जगह असर दिखा। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) और निजी आपरेटरों की बसें सुबह से ही सड़कों पर नहीं दिख रही थीं।

तिरुवनंतपुरम में केएसआरटीसी की नगर और लंबी दूरी के मार्गों की बस सेवाएं बंद रहीं। सड़कों पर वाहनों और ऑटो रिक्शा की आवाजाही भी कम थी। वहीं, पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में सड़क और रेल यातायात बाधित हुआ। हड़ताल समर्थकों ने राज्य के कुछ हिस्सों में रैलियां निकालीं और उत्तर 24 परगना जिले में सड़कों और रेलवे पटरियों को अवरुद्ध कर दिया। हालांकि, पुलिस ने तत्काल वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए उन्हें हटा दिया।

कोलकाता में सरकारी बसें सामान्य रूप से चल रही हैं, लेकिन शुरुआती घंटों में निजी बसों की संख्या कम थी। इस दौरान शहर में मेट्रो सेवाएं सामान्य थीं और सड़कों पर ऑटो-रिक्शा तथा टैक्सियां भी चल रही थीं। शहर के कई इलाकों में भारी पुलिस तैनाती देखी गई है। उत्तर बंगाल के कुछ इलाकों में तृणमूल कांग्रेस ने हड़ताल का विरोध करते हुए रैलियां निकालीं और लोगों से सामान्य स्थिति बनाए रखने का आग्रह किया। असम में हड़ताल से आम जनजीवन प्रभावित रहा क्योंकि सड़कों में वाहनों की संख्या कम रही और बाजार भी बंद रहे।

गुजरात में बैंकिंग सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुईं। राज्य में परिवहन सेवा पूरी तरह से सामान्य रही और कई व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के दफ्तर भी खुले रहे। ट्रेड यूनियनों का दावा है कि गुजरात में कई हिस्सों में कारखाने में उत्पादन प्रभावित हुआ। हालांकि, उद्योगपतियों ने कारोबार सामान्य रहने की बात कही है। ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का त्रिपुरा में मिला-जुला असर देखने को मिला। वहां रेल और वाहन सेवा सामान्य रहने के बावजूद कई जगहों पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कार्यालय बंद रहे।

सरकार ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कहा था कि वे अपने कर्मचारियों को हड़ताल से दूर रहने को कहें। साथ ही कामकाज के सुचारू तरीके से संचालन को आपात योजना भी तैयार करने की सलाह दी थी। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने पीटीआई-भाषा को बताया कि "हम बैंक विलय, निजीकरण, शुल्क वृद्धि और वेतन से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं।"

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सदस्यों के साथ विभिन्न महासंघ भी हिस्सा ले रहे हैं। केंद्रीय यूनियनों में एटक, इंटक, सीटू, एआईसीसीटीयू, सेवा, एलपीएफ समेत अन्य शामिल हैं। उन्होंने बताया, "हम महंगाई, सार्वजनिक कंपनियों की बिक्री, रेलवे, रक्षा, कोयला समेत अन्य क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई और 44 श्रम कानूनों को संहिताबद्ध करने (श्रम संहिता) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।"

सरकार की नीतियों के खिलाफ अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली इस हड़ताल में करीब 25 करोड़ लोगों के भाग लेने का अनुमान व्यक्त किया गया है। कौर ने कहा कि हमारी अन्य मांगों में सभी के लिए 6000 रुपये न्यूनतम पेंशन, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और लोगों को राशन की पर्याप्त आपूर्ति शामिल हैं। कौर ने दावा किया , "हमें पूरे देश भर से खबरें मिल रही हैं। भेल के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। ऑयल यूनियन हड़ताल पर है। पूर्वोत्तर, ओडिशा, पुडुचेरी, केरल और महाराष्ट्र में बंद की स्थिति है।" 

 

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