‘टूलकिट’ केसः दिशा रवि की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी, 23 को फैसला
By भाषा | Published: February 20, 2021 06:51 PM2021-02-20T18:51:27+5:302021-02-20T21:01:36+5:30
दिशा रवि को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने पिछले शनिवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दिशा पर राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
नई दिल्लीः जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि के वकील ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा कि यह प्रदर्शित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि किसानों के प्रदर्शन से जुड़ा ‘टूलकिट’ 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार है।
अदालत ने उसकी जमानत याचिका पर अपना आदेश मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया। दिशा ने अपने वकील के जरिए अदालत से कहा, ‘‘यदि किसानों के प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है, तो मैं जेल में ही ठीक हूं।’’ दिल्ली पुलिस द्वारा दिशा की जमानत याचिका का विरोध किये जाने के बाद जलवायु कार्यकर्ता के वकील ने यह दलील दी।
पुलिस ने आरोप लगाया कि वह खालिस्तान समर्थकों के साथ यह दस्तावेज (टूलकिट) तैयार कर रही थी। साथ ही, वह भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में देश में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा थी। पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष कहा, ‘‘यह महज एक टूलकिट नहीं है। असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां (देश में) अशांति पैदा करने का था।’’
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि रवि ने व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत (चैट), ईमेल और अन्य साक्ष्य मिटा दिये तथा वह इस बात से अवगत थी कि उसे किस तरह की कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। पुलिस ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यदि दिशा ने कोई गलत काम नहीं किया था, तो उसने अपने ट्रैक (संदेशों) को क्यों छिपाया और साक्ष्य मिटा दिया।
पुलिस ने आरोप लगाया कि इससे उसका नापाक मंसूबा जाहिर होता है। दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया, ‘‘वह (दिशा) भारत को बदनाम करने, किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश के भारतीय चैप्टर का हिस्सा थी। वह टूलकिट तैयार करने और उसे साझा करने को लेकर खालिस्तान समर्थकों के संपर्क में थी। ’’
पुलिस ने अदालत से कहा, ‘‘इससे प्रदर्शित होता है कि इस टूलकिट के पीछे एक नापाक मंसूबा था।’’ हालांकि, दिशा के वकील ने आरोपों को खारिज कर दिया। बचाव पक्ष के वकील ने कहा, ‘‘मेरा (दिशा का) सबंध प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ से जोड़ने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है। और यदि मैं (दिशा) किसी से मिली भी थी, तो उस व्यक्ति माथे पर अलगावादी होने का ठप्पा नहीं लगा हुआ था।’’
दिशा के वकील ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस ने किसानों की मार्च (ट्रैक्टर परेड) की इजाजत दी थी, जिसके बारे में उनका (पुलिस का) दावा है कि मैंने उनसे (किसानों से) इसमें शामिल होने को कहा था, फिर मैंने कैसे राजद्रोह कर दिया।’’ उन्होंने दावा किया कि 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किये गये किसी भी व्यक्ति ने यह नहीं कहा है कि वह इस गतिविधि के लिए ‘टूलकिट’ से प्रेरित हुआ था। ‘टूलकिट’ ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए विस्तृत सुझाव दिये होते हैं।
आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य किसी खास वर्ग या लक्षित समूह को जमीनी स्तर पर गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश देना होता है। दिशा के वकील ने अदालत में दावा करते हुए कहा, ‘‘ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह प्रदर्शित कर सके कि किसानों की मार्च (ट्रैक्टर परेड) के दौरान हुई हिंसा के लिए टूलकिट जिम्मेदार है। ’’ उन्होंने प्राथमिकी में लगाये गये आरोपों पर भी सवाल उठाये और कहा कि लोगों के किसी एक विषय पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं।
दिशा के वकील ने कहा, ‘‘प्राथमिकी में यह आरोप है कि योग और चाय को निशाना बनाया जा रहा है। क्या यह अपराध है? क्या अब हम यह भी पाबंदी लगाने जा रहे हैं कि कोई व्यक्ति अलग राय नहीं रख सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर में कथित नरसंहार के बारे में वर्षों से बातें हो रही है। इस बारे में बात करना अचानक से राजद्रोह कैसे हो गया?’’
गौरतलब है कि एक निचली अदालत ने दिशा की पांच दिनों की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद शुक्रवार को जलवायु कार्यकर्ता को तीन दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। दिशा को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दिशा पर राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।