नेपाल में भारी बारिश के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। वहीं नेपाल के सिंधुपलचौक में बाढ़ के बाद तीन भारतीय लापता हैं। भारी बारिश के बाद नेपाल की ओर से गंडक नदी में 4 लाख 12 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसके चलते बिहार का पश्चिमी चंपारण और उत्तर प्रदेश का महाराजगंज जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। बाल्मिकीनगर में गंडक नदी पर बने बैराज से पानी छोड़ा जा रहा है। बैराज के सभी गेट खोल दिए गए हैं। उत्तरी बिहार के कई इलाकों और नेपाल के कैचमेंट एरिया में 48 घंटे के दौरान 250 एमएम बारिश हुई है, जिसके चलते यह स्थिति पैदा हुई है।
नेपाल में भारी बारिश के कारण सिंधुपलचौक में बाढ़ आ गई है। जिसके कारण कई घर बारिश में डूब गए हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है। साथ ही 20 लोग लापता हैं। इनमें से तीन भारतीय और तीन चीनी नागरिक शामिल हैं। सिंधुपलचौक के जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिकों के लापता होने की पुष्टि की है।
गंडक नदी का जलस्तर खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है। भारत में यूपी-बिहार के कुछ गांवों के लोग सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। लोगों ने अपने मवेशियों को ट्रैक्टर आदि साधनों की मदद से अन्य स्थानों पर पहुंचाया है। वहीं कई लोग पैदल ही दूसरे स्थानों पर चले गए हैं। इन इलाकों के लोगों को जिला प्रशासन ने अलर्ट किया है और सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा है।
गंडक नदी के खतरे के निशान की ओर बढ़ने के कारण सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड को भी हाई अलर्ट किया गया है। महाव व झरही नदी में पानी की आवक बढ़ने से 4-4 तटबंध टूट गए हैं। वहीं कई गांवों में पानी भर गया है और कुछ गांवों से सड़क संपर्क मार्ग कट गया है। ठूठीबारी और बरंगदवा क्षेत्र के कई गांवों में पानी घुसने से लोग परेशान हो उठे। वहीं खैरहवा गांव का संपर्क मार्ग पानी की वजह से कट गया है।
बारिश कम होने से राहत
नेपाल में भारी बारिश और पानी छोड़े जाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। हालांकि आला अधिकारियों ने मौसम विभाग की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि नेपाल में बारिश कम हो रही है। जिसके चलते राहत मिल सकती है। महाराजगंज के डीएम के मुताबिक, नदियों में जलस्तर बढ़ा है, लेकिन अभी तक पानी के दबाव की स्थिति नहीं है।
कई नदियां खतरे के निशान के पार
गंडक नदी नेपाल से भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित महाराजगंज इलाके से होती हुई बिहार जाती है। यह खतरे के निशान से थोड़ा ही नीचे बह रही है। वहीं राप्ती नदी का जलस्तर 78.30 मीटर रिकॉर्ड किया गया। जबकि खतरे का निशान 80.30 मीटर पर है। वहीं रोहिनी नदी खतरे के निशान को पार कर गई है। यह खतरे के निशान से आठ सेंटीमीटर अधिक 82.52 मीटर पर बह रही है। नेपाल की झरही नदी जब भारतीय सीमा में प्रवेश करती है तो इसका नाम चंदन नदी हो जाता है। चंदन नदी खतरे के निशान से 45 सेमी ऊपर बह रही है। वहीं प्यास नदी भी खतरे के निशान को पार कर गई है।