इन लोगों ने मर्डर किया है, आप दोषी को सजा कम दे रहे हैं, ऐसे लोग को आजीवन कारावास में डाल देना चाहिएः कोर्ट

By भाषा | Published: October 18, 2019 08:26 PM2019-10-18T20:26:52+5:302019-10-18T20:26:52+5:30

उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन और न्यायमूर्ति एन आनंद की पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या के लिए सजा) में स्पष्ट है कि जो कोई भी हत्या का अपराध करता है उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जानी चाहिए और उस पर जुर्माना भी लगाया जाए।

These people have murdered, you are giving less punishment to the guilty, such people should be put in life imprisonment: Court | इन लोगों ने मर्डर किया है, आप दोषी को सजा कम दे रहे हैं, ऐसे लोग को आजीवन कारावास में डाल देना चाहिएः कोर्ट

उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायाधीश से 21 अक्टूबर तक रिपोर्ट देने को कहा है।

Highlightsहत्या के मामले में सत्र न्यायाधीश के कम सजा सुनाने पर उच्च न्यायालय गंभीर।पीठ ने कहा, ‘‘ यह कानून का मूलभूत सिद्धांत है जिसका सत्र न्यायाधीश को निर्वहन करना होता है।

मद्रास उच्च न्यायालय ने हत्या के मामले में सत्र न्यायाधीश द्वारा दो अभियुक्तों को कानून में निर्धारित मृत्युदंड या आजीवन कारावास के बजाय कम सजा सुनाने पर गंभीर रुख अपनाया है।

उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन और न्यायमूर्ति एन आनंद की पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या के लिए सजा) में स्पष्ट है कि जो कोई भी हत्या का अपराध करता है उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जानी चाहिए और उस पर जुर्माना भी लगाया जाए।

पीठ ने कहा, ‘‘ यह कानून का मूलभूत सिद्धांत है जिसका सत्र न्यायाधीश को निर्वहन करना होता है। यह हैरान करने वाला है कि सत्र न्यायाधीश के पद पर बैठे व्यक्ति ने आरोपियों को भादंसं की धारा 302 के तहत दोषी ठहराते हुए उन्हें क्रमश: दस साल और सात साल की कैद की सजा सुनायी। ’’

उच्च न्यायालय विरुद्ध नगर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के आदेश को दो आरोपियों द्वारा चुनौती देते हुए दायर की गयी अपील पर सुनवाई कर रहा है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने इन दोनों को क्रमश: 10 और सात साल की कैद की सजा सुनायी थी। उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायाधीश से 21 अक्टूबर तक रिपोर्ट देने को कहा है। 

Web Title: These people have murdered, you are giving less punishment to the guilty, such people should be put in life imprisonment: Court

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