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देश के वो रक्षा सौदे जिन पर लगे स्कैम के दाग, पढ़ें- बोफोर्स से लेकर राफेल तक की कहानी

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: February 12, 2018 12:43 IST

देश का रक्षा कोल लेकर आए दिन सवाल होते रहते हैं, लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ है जब देश के रक्षा मसौदे भी सवालों करे घेरे में आ गए हैं।

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 देश का रक्षा कोल लेकर आए दिन सवाल होते रहते हैं, लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ है जब देश के रक्षा मसौदे भी सवालों करे घेरे में आ गए हैं।  पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और और उनकी राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर हमला कर रही है, वह इस पर तरह तरह के आरोप प्रत्यारोप भी लगा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के सवालों के बाद  एक और देश की रक्षा से जुड़ी डील सवालों से घिर गई है।

हालांकि ये अभी साबित नहीं हो सका है  कि कांग्रेस पार्टी के द्वारा लगाए गए राफेल डील में गड़बड़ी के आरोप सही है या नहीं, लेकिन कांग्रेस पूरा जोर लगाकर मोदी सरकार से सवाल कर रही है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब कोई रक्षा मसौदा सवालों के घेरे में आया हो इससे पहले भी देश की सुरक्षा और सेना से जुड़ी डील और मसौदों पर भष्टाटार के आरोप लगते रहे हैं और कई बड़े घोटाले सामने भी आए हैं। ऐसे में जानते है राफेल डील के पहले के वे रक्षा डील जिन पर कई गंभीर आरोप लगे हैं।

आजादी के कुछ सम बाद ही 1948 में 200 जीपों सप्लाई की डील  इंग्लैंड से भारत सरकार ने की थी।   इस डील में उस समय करीब 80 लाख रुपए खर्च हुए लेकिन डील का रूप कुछ और ही सामने आया जिसमें 200 की जगह सिर्फ 155 जीपें ही सप्लाई हुई। इस विवाद के सामने आने के बाद उस समय  इंग्लैंड में भारत के हाई कमीशनर वीके मेनन को भी घेरा गया। लेकिन 1955 में ये केस बंद कर दिया गया और वीके मेनन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के खास हो गए और बाद में सरकार के रक्षा मंत्री के चौर पर नियुक्त किए गए। 

बोफोर्स केस 

 1977 में बोफोर्स घोटाले से हर कोई रुबरु है। उस समय  भारतीय सेना को तोपों की सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने चुकायी थी। जिस समय ये सौदा हुआ भारत के पीएम राजीव गांधी थे, 1.3 अरब डालर का सौदा चार सौ बोफोर्स तोपों की खरीद का था। 1987 में स्वीडन के रेडियो ने इसको एक घोटाला बताया था। आरोप लगाया गया था कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारत के साथ सौदे के लिए 1.42 करोड़ डालर की रिश्वत बांटी थी। 

ताबूत घोटाला 

कारगिल युद्ध के समय   1999 में शहीद हुए जवानों के पार्थिव शरीर को उनके परिवार वालों को पहुंचानों के लिए ताबूत खरीदे गए थे। इन ताबूतों पर भी भ्रष्टाचार के दाग लगे। दरअसल सीबीआई ने एक अमेरिकी कांट्रेक्‍टर और कुछ वरिष्‍ठ सैन्‍य अधिकारियों के खिलाफ ताबूतों के हेरफेर पर केस दर्ज किया था। इसमें तत्कालीन रक्षा मंत्री रहे जार्ज फर्नाडिस पर भी घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा था। 

2006 में एक बार फिर से रक्षा मसौदा विवादों में घिरा। तब सवालों के घेरे में आई थी भारत ने इजराइल से बराक मिसाइल खरीदने की योजना। उस समय वैज्ञानिक सलाहकार एपीजे अब्दुल कलाम ने इसका विरोध किया था। 1150 करोड़ में 7 मिसाइले  उस समय इजराइल से खरीदी गई थीं। सीबीआई ने 2006 में इसकी केस दर्ज किया था। समता पार्टी के ट्रेजरर रहे आर के जैन को इस केस में गिरफ्तार किया गया था। डीआरओपी पर उस समय सीबीआई ने सवाल खड़ा किए थे कि उन्होंने इस खरीद पर रोक क्यों नहीं लगाई थी।

टाट्रा टक 

2012 में हुए टाट्रा टक घोटाले का मामला अभी भी सुर्खियों में है। उस समय के आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने आरोप लगाया  था कि टाट्रा ट्रक की डील के सिल‍सिले में उनको 14 करोड़ रुपये की रिश्‍वत की पेशकश की गई थी। इन ट्रकों की क्‍वालिटी को लेकर भी तब सवाल उठे थे। जिसके बाद उस कांग्रेस सरकार भी सवालों के घेरे में आ गई थी।

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