अमेरिकी कांग्रेस में भारतीय स्तंभकार सुनंदा वशिष्ठ ने कहा, 'कश्मीर के बिना भारत, भारत के बिना कश्मीर नहीं'
By अभिषेक पाण्डेय | Published: November 15, 2019 11:53 AM2019-11-15T11:53:03+5:302019-11-15T11:53:43+5:30
Sunanda Vashisht: भारतीय स्तंभकार सुनंदा वशिष्ठ ने वॉशिंगटन में कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर हुई सुनवाई में कहा कि कश्मीर के बिना भारत संभव नहीं है
कश्मीर में मानवाधिकार मुद्दे को लेकर अमेरिकी कांग्रेस में हो रही सुनवाई के दौरान भारतीय स्तंभकार सुनंदा वशिष्ठ ने कहा है कि कश्मीर के बिना भारत और भारत के बिना कश्मीर असंभव है।
इस सुनवाई के दौरान गुरुवार को वशिष्ठ ने कहा कि पाकिस्तानी प्रशिक्षित आंतकियों ने कश्मीर में उस स्तर की भयावहता और क्रूरता पैदा की थी जैसा कि आईएसआईएस ने सीरिया में की है और पश्चिम से बहुत पहले ही कश्मीर घाटी ने इस्लामी आतंकवाद की बर्बरता झेल चुकी थी।
कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है: सुनंदा
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनंदा ने कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए कहा, भारत ने कश्मीर पर कब्जा नहीं किया है बल्कि ये हमेशा से उसका अभिन्न अंग था।
उन्होंने कहा, 'भारत की पहचान महज 70 साल पुरानी नहीं है, बल्कि इसकी सभ्यता 5 हजार साल पुरानी है। भारत के बिना कश्मीर नहीं है और कश्मीर के बिना भारत।'
सुनंदा वशिष्ठ ने किया कश्मीर में हुई 30 साल पुरानी हिंसा का जिक्र
सुनंदा ने गुरुवार को वॉशिंगटन में टॉम लैटोंस एचआर कमीशन द्वारा आयोजित मानवाधिकार पर कांग्रेस की सुनवाई में कहा, 'पश्चिम द्वारा इस्लामिक कट्टरपंथ से परिचय से 30 साल पहले पहले ही हमने कश्मीर में भयावहता और क्रूरता का आईएसआईएस जैसा स्तर देखा है। मुझे खुशी है कि ये सुनवाई आज यहां हो रही है क्योंकि जब मेरा परिवार और मेरे जैसे सभी लोगों ने अपने घर और आजीविका गंवाई तो ये खामोश थे।'
सुनंदा ने सुनवाई में मौजूद पैनलिस्ट से पूछा, 'मानवाधिकार के ये वकील तब कहां थे, जब मेरे अधिकार छीने गए?' उन्होंने कहा, '19 जनवरी 1990 की वे रात कहां थे, जब कश्मीर की सभी मस्जिदों से आवाजें उठ रही थीं कि उन्हें केवल हिंदू महिलाएं चाहिए, हिंदू पुरुष नहीं?'
उन्होंने कहा, 'मानवता के रक्षक तब कहां थे, जब मेरे दादा रसोई की चाकू और एक पुरानी जंग लगी कुल्हाड़ी लिए मेरी मां और मुझे मारने को तैयार खड़े थे, ताकि वे हमें उस बदतर भाग्य से बचा सकें जो हमारा इंतजार कर रहा था?'
उन्होंने कहा, 'आंतकियों द्वारा हमारे समुदाय के लोगों को तीन विकल्प दिए गए थे, भाग (कश्मीर से) जाओ, धर्मांतरण कर लो, या फिर उसी रात मर जाओ।' उस रात के आंतक के बाद लगभग 4 लाख कश्मीरी पंडित अपना सबकुछ छोड़कर कश्मीर से चले गए थे।
पत्रकार डेनियल पर्ल का दिया उदाहरण
कश्मीर पर चर्चा के दौरान सुनंदा ने अमेरिकी पत्रकार डेनियस पर्ल का भी जिक्र किया, जिनका सिर ISIS द्वारा कलम कर दिया गया था। उन्होंने कहा, पर्ल के आखिरी शब्द थे- 'मेरे पिता एक यहूदी थे, मेरी माता एक यहूदी थीं और मैं भी एक यहूदी ही हूं।”
सुनंदा ने अपनी तुलना डेनियल पर्ल से करते हुए कहा, 'मेरे पिता एक कश्मीरी हैं, मेरी माता कश्मीरी हिंदू हैं और मैं भी एक कश्मीरी हिंदू ही हूं।'
आर्टिकल 370 को हटाना मानवाधिकारों की बहाली: सुनंदा
वाशिंगटन में टॉम लैंटोस एचआर कमीशन द्वारा आयोजित सुनवाई में वशिष्ठ ने कहा कि हाल ही में अनुच्छेद 370 को हटाया जाना "मानव अधिकारों की बहाली" था।
सुनंदा ने कहा, "आज मुझे खुशी है कि कश्मीरियों को भारतीय नागरिकों के समान अधिकार हैं। यदि किसी महिला के संपत्ति पाने के अधिकार और एलजीबीटीक्यू अधिकारों की अनुमति, जैसे कई अन्य गंभीर मुद्दों को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के माध्यम से पूरा किया गया है, तो यह सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के कुछ शेष जिलों में इंटरनेट और फोन सेवा की बहाली बहुत दूर नहीं है।
सुनंदा ने कहा, 'मैं कश्मीर की एक गर्व से भरी बेटी हूं।' उन्होंने कहा, 'आतंकवाद ने मुझे उखाड़ फेंका और मुझसे मेरा घर छीन लिया। मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे मानवाधिकारों की भी बहाली हो जाएगी।'
हालांकि वशिष्ठ की प्रतिक्रिया के जवाब में टेक्सस की एक प्रतिनिधि शीला जैक्सन ली ने कहा कि कश्मीर में मानवाधिकार को सुरक्षित करने के लिए एक रास्ता तैयार करने को कहा।
ली ने कहा, 'हमें क्षेत्र में मानवाधिकों को सुनिश्चित करने के लिए कम से मूल बातों के लिए रास्ता तलाशना चाहिए। यूएस कांग्रेस के सदस्यों को जम्मू-कश्मीर के दोनों हिस्सों (भारत और पाकिस्तान में भी) में जाने की इजाजत क्यों नहीं दी गई।'