सशस्त्र बल की ‘शक्ति’ : शहीद सैनिकों की पत्नियों के जीवन को पुस्तक में किया गया पेश

By भाषा | Updated: November 18, 2021 17:34 IST2021-11-18T17:34:53+5:302021-11-18T17:34:53+5:30

The 'Shakti' of the Armed Forces: The lives of the wives of the martyred soldiers were presented in the book | सशस्त्र बल की ‘शक्ति’ : शहीद सैनिकों की पत्नियों के जीवन को पुस्तक में किया गया पेश

सशस्त्र बल की ‘शक्ति’ : शहीद सैनिकों की पत्नियों के जीवन को पुस्तक में किया गया पेश

(सुमीर कौल)

नयी दिल्ली, 18 नवंबर रक्षा क्षेत्र पर लिखने वाली लेखिका स्वप्निल पांडेय कहती हैं कि हमारे कल के लिये एक सैनिक अपने आज का त्याग करता है लेकिन एक सैनिक की पत्नी हमारे आज के लिये अपने कल का त्याग करती है। ऐसी ही ‘वीर नारियों’ (शहीद सैनिकों की पत्नियों) के बलिदानों को पांडेय ने अपनी नई किताब में खूबसूरती से पेश किया है।

पांडेय ने अपनी किताब को ‘द फोर्स बिहाइंड द फोर्सेज’ शीर्षक दिया है। पांडेय के पति लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। पांडेय मानती हैं कि कर्तव्य पथ पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले सैनिकों की पत्नियों की कहानियां भी दुनिया को बताई जानी चाहिए क्योंकि “उनका बलिदान भी अपने जीवनसाथी से कम नहीं होता है।”

‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक बातचीत में 36 वर्षीय लेखिका कहती हैं, “वास्तव में इसमें मैनें जो लिखा है वह घटते देखा है, वास्तव में वह कहते हैं कि शब्द आपको नियंत्रित करते हैं न कि इसके विपरीत। कार्रवाई के दौरान शहीद हुए एक सैनिक की पत्नी से मुलाकात के बाद मेरी विचार प्रक्रिया आकार लेने लगी थी। उस सैनिक की पत्नी को उसके ससुराल वालों ने छोड़ दिया था।”

विप्रो, एचडीएफसी और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों के साथ काम कर चुकीं पांडेय ने बताया कि सैन्य परंपरा में सैन्य कर्मी की पत्नी को हमेशा ‘वीर नारी’ के तौर पर संबोधित किया जाता है और “मुझे लगा कि मेरे विचारों को पंख देने का समय आ गया है और वीर नारियों की बहादुरी को लिपिबद्ध करने की प्रक्रिया शुरू हो गई।”

उन्होंने कहा दो उपन्यास - 2017 में ‘सोल्जर्स गर्ल’ और 2019 में ‘लव स्टोरी ऑफ ए कमांडो’- लिखने के बाद “मैं वास्तविक जीवन की कहानियों पर आधारित एक किताब लिखना चाहती थी और मुझे शहीदों की विधवाओं के बलिदानों को उजागर करने से बेहतर कुछ नहीं मिल सकता था। ये कहानियां किसी अचंभे से कम नहीं थीं।”

पांडे ने अपनी किताब में तर्क दिया है कि यह एक मिथक है कि एक सैनिक की पत्नी हमेशा अपने पति के साये में रहती है, और दुनिया को यह बताने का सही समय है कि सेना के पीछे महिलाएं वास्तव में उनकी प्रेरक शक्ति हैं।

पांडेय ने अपनी किताब में सात अलग-अलग सैन्य जोड़ों के बारे में सात अध्याय शामिल किए हैं और उन बहादुर महिलाओं के अनकहे पलों को सामने लाने का प्रयास किया है, जिन्हें अपने आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में, सीमा पर झड़प या गोलीबारी अथवा किसी दुर्घटना में पति की शहादत के बाद अचानक उन परिवारों को संभालना पड़ता है जो एक झटके में बिखर गए थे।

उन्होंने बेंगलुरू की सलमा शफीक गोरी के साथ अपनी मुलाकात को याद किया जिन्होंने 2001 में उत्तरी कश्मीर में एक कार्रवाई में अपने पति मेजर शफीक मोहम्मद गोरी को खो दिया था। पांडेय ने कहा, “जब मैंने उनसे (सलमा) पूछा कि सैन्य प्रेम कहानियों में ऐसा क्या खास है, तो उन्होंने जवाब दिया कि उनके पति थे, हैं और हमेशा रहेंगे। छोटी सी चुप्पी के बाद उन्होंने जोड़ा ‘मुझे आशा है कि राष्ट्र याद रखेगा कि हमने (युद्ध विधवाओं ने) अपना कल उनके आज के लिए बलिदान कर दिया’।

उन्होंने कहा कि पेंगुइन द्वारा प्रकाशित पुस्तक हजारों शोकाकुल वीर नारियों को यह बताने का प्रयास है कि वे अकेली नहीं हैं और हम उनके बलिदान का सम्मान करते हैं।

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Web Title: The 'Shakti' of the Armed Forces: The lives of the wives of the martyred soldiers were presented in the book

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