BJP CM: एमपी में मुख्यमंत्री चयन का जिम्मा पर्यवेक्षकों को,पार्टी ने बने तीन पर्यवेक्षक,जानिए क्या होगी प्रक्रिया
By अनुराग.श्रीवास्तव@लोकमत.इन | Published: December 8, 2023 12:07 PM2023-12-08T12:07:31+5:302023-12-08T12:10:24+5:30
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे में मिली बीजेपी को बंपर जीत के बाद विधायक दल का नेता चुने को लेकर कशमकश जारी है। पार्टी ने अब मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया है।
एमपी में सीएम चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त
मध्य प्रदेश में विधायक दल का नेता चुनने के लिए पार्टी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा को पर्यवेक्षक बनाया है ।
सभी केंद्रीय पर्यवेक्षक शनिवार या रविवार को भोपाल आकर विधायक दल की बैठक में शामिल होंगे। पर्यवेक्षक विधायको के साथ चर्चा कर विधायक दल के नेता पर रायशुमारी करेंगे। इसके अलावा पार्टी के बड़े नेताओं के साथ भी पर्यवेक्षकों की मुलाकात होगी। बीजेपी पार्टी से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र के द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक शनिवार की शाम या रविवार की सुबह भोपाल आ सकते हैं। इसके बाद भोपाल में बीजेपी के नेताओं और विधायकों के साथ उनकी चर्चा होगी।
कैसी होगी विधायक दल के नेता चुनने की चयन प्रक्रिया
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। विधायक दल के नेता के रूप में किसको चुना जाएगा। इसको लेकर केंद्रीय पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर पार्टी फैसला करती है।
बीजेपी ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। जो राजधानी भोपाल आकर विधायक दल की बैठक में शामिल होंगे।
इसके बाद विधायकों से राय रायशुमारी होगी।
विधायक दल के नेता के लिए बेहतर चेहरा कौन होगा इस पर राय ली जाएगी।
इसके अलावा पार्टी के बड़े नेता और पदाधिकारी के साथ भी केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मुलाकात चर्चा होगी।
इसके बाद केंद्रीय पर्यवेक्षक लिफाफे में नाम को बंद कर पार्टी हाई कमान को सौंपेंगे।
जिस पर पार्टी विधायक दल के नेता के नाम का ऐलान करेगी।
केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति से पहले मध्य प्रदेश में विधायक दल का नेता कौन होगा इसको लेकर विधायकों की रायशुमारी महत्वपूर्ण होगी।
यही वजह है की मध्य प्रदेश में एक तरफ जहां मुख्यमंत्री पद के दावेदारों ने विधायकों से मेल मुलाकात तेज कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक कई नेताओं के फोन कॉल भी विधायकों के पास पहुंच रहे हैं जिसमें पार्टी के नेता विधायक को जीत पर बधाई देते हुए एक तरीके से समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। मतलब साफ है कि यदि विधायकों की रायशुमारी किसी एक नेता के पक्ष में ज्यादा होती है तो उसकी लॉटरी खुलना तय है। हालांकि अंतिम फैसला पार्टी हाई का लेगी। लेकिन केंद्रीय पर्यवेक्षकों की राय भी महत्वपूर्ण होगी। मतलब साफ है की 10 दिसंबर तक केंद्रीय पर्यवेक्षक पार्टी हाई कमान को विधायकों की राय से रूबरू करा देंगे और उसके बाद मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे की तस्वीर साफ हो जाएगी।