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लॉकडाउन को धीरे-धीरे खत्म करने की ओर बढ़ रहा है भारत, विदेशी मीडिया ने कहा 130 करोड़ लोगों पर होगा असर

By सुमित राय | Updated: May 27, 2020 21:13 IST

देश में घरेलू उड़ानें शुरू होना सबसे स्पष्ट संकेत है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन को खत्म करने की ओर बढ़ रहा है।

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ठळक मुद्देभारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन का चौथा चरण लागू है।लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर लोगों ने नौकरियां गंवाई और श्रमिकों का पलायन हुआ।

भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और संक्रमितों की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा हो गई है। देश में दो महीने से ज्यादा समय से लॉकडाउन लागू है, लेकिन अब इसमें काफी छूट दी गई है। इस बीच वाशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट छापी है, जिसमें देश में अगर लॉकडाउन को हटाने के बाद नॉर्मल गतिविधिया शुरू की जाती हैं तो क्या स्थिति हो सकती है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन का चौथा चरण लागू है, लेकिन इस बीच देश में घरेलू उड़ानें शुरू हो गई हैं और 1 जून से नई ट्रेनें भी शुरू हो रही हैं। इन सबसे स्पष्ट संकेत है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन को खत्म करने की ओर बढ़ रहा है, जिसका असर देश के 130 करोड़ लोगों पर पड़ेगा।

लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर लोगों ने नौकरियां गंवाई और श्रमिकों का पलायन हुआ। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन ने कोरोना के प्रसार को धीमा किया, लेकिन अब मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत एक दिन में नए मामलों की संख्या के आधार पर दुनिया में चौथे स्थान पर है: केवल रूस, ब्राजील और अमेरिका ही इससे आगे हैं।

सरकार ने हाल के समय में यात्रा की अनुमति देने के अलावा परिवहन, वाणिज्य और विनिर्माण पर प्रतिबंधों में ढील दी है। अभी भी बड़ी सभाओं और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंधों में ढील का मतलब है कि मामलों में तेजी से वृद्धि होगी। इससे पहले से ही तनाव में चल रहे अस्पतालों पर दबाव बढ़ेगा और स्वास्थ्य देखभाल प्रभावित होगी।

भारत के दो सबसे बड़े शहर (मुंबई और दिल्ली) मामलों में वृद्धि की तैयारी कर रहे हैं। मुंबई में कुछ कोरोनो वायरस वार्डों में बेड पहले से ही भरे हुए हैं और स्थानीय सरकार ने दूसरे राज्य से डॉक्टरों और नर्सों को मदद के लिए भेजने को कहा है। वहीं दिल्ली में प्रशासन ने एक और बड़े सरकारी अस्पताल को कोरोनो वायरस रोगियों के लिए केंद्र में बदल रहा है। इसके अलावा सभी निजी अस्पतालों को 20 प्रतिशत बेड कोरोना मरीजो के आरक्षित करने का आदेश दिया गया है।

एक प्रमुख भारतीय महामारीविद जयप्रकाश मुलियाल ने कहा, "यह बड़ा गड़बड़ होने जा रहा है। मुंबई एक घनी आबादी वाला शहर है और यहां किसी भी वायरल ट्रांसमिशन को नियंत्रित करने की कोशिश करना असंभव से थोड़ा आगे है।"

मुंबई के एक बड़े निजी अस्पताल पीडी हिंदुजा अस्पताल के एक पल्मोनोलॉजिस्ट लैंसलोट पिंटो ने कहा, "हमारे कोविड वार्ड पिछले तीन हफ्तों से भरे हुए हैं। हमें रोगियों को मना करना पड़ा है।" बता दें कि भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में अब तक कोरोना 31 हजार से अधिक पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं।

मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ घंटे की नोटिस के बाद दुनिया के सबसे कड़े लॉकडाउन की घोषणा की थी, जब देश में करीब 500 मामले थे। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा था कि संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए 21 दिनों तक घर में रहने की आवश्यकता है। भारत विजयी होगा।

हालांकि जब इस महीने पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया तो वायरस को रोकने या हराने की बात नहीं की। उन्होंने कहा कि वायरस लंबे समय तक हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा। इसके बाद लॉकडाउन के प्रतिबंधों में ढील दिया गया और अधिकांश निर्णय राज्यों पर छोड़ दिया गया। अब सरकार का फोकस अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वित्तीय वर्ष में 1980 के बाद पहली बार कमी आने की उम्मीद है। इस बीच 100 मिलियन से अधिक लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं।

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि दुनिया के मुकाबले भारत की मृत्यु दर तुलनात्मक रूप से कम है। भारत में करीब 4100 मौतें दर्ज की गई हैं और मृत्यु दर 2.9 प्रतिशत है, जो अमेरिका में 5.9 प्रतिशत है।

नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने पिछले सप्ताह एक ब्रीफिंग में कहा था कि लॉकडाउन ने भारत को संक्रमण के "भारी" नंबर का सामना करने के लिए तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण समय दिया है। देश आने वाली चुनौती के लिए तैयार है।

हालांकि पॉल ने भविष्य में मामले किस तेजी के साथ बढ़ेंगे इसको लेकर कुछ कहने से इनकार कर दिया, जैसा कि पिछले महीने उन्होंने एक चार्ट साझा किया था, जिसमें दर्शाया गया था कि मई में मामले कम हो जाएंगे। 

मिशिगन विश्वविद्यालय के सांख्यिकीविदों और महामारी विज्ञानियों द्वारा विकसित मॉडल में आशंका जताई गई है कि अगर लॉकडाउन के बाद गतिविधि शुरू हो जाए तो भारत में 15 जुलाई तक लगभग एक लाख मामले सामने आ सकते हैं।

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