सिख गुरुओं के इतिहास को पाठ्यक्रम में करेंगे शामिल : योगी

By भाषा | Updated: December 27, 2020 18:44 IST2020-12-27T18:44:34+5:302020-12-27T18:44:34+5:30

The history of Sikh Gurus will be included in the syllabus: Yogi | सिख गुरुओं के इतिहास को पाठ्यक्रम में करेंगे शामिल : योगी

सिख गुरुओं के इतिहास को पाठ्यक्रम में करेंगे शामिल : योगी

लखनऊ, 27 दिसम्बर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को सिख गुरुओं के इतिहास को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का ऐलान किया।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने यहां अपने सरकारी आवास पर गुरु गोबिन्द सिंह के चार साहिबज़ादों एवं माता गुज़री जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ के अवसर पर आयोजित गुरुबाणी कीर्तन कार्यक्रम में शिरकत की।

योगी ने इस मौके पर कहा कि आज का दिन मातृभूमि, देश और धर्म के प्रति अपनी शहादत देने वाले गुरु पुत्रों एवं माता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का दिन है। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया, जिसे देश हमेशा याद रखेगा।

योगी ने ऐलान किया कि अब हर वर्ष 27 दिसम्बर प्रदेश के सभी स्कूलों में साहिबज़ादा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर विद्यालयों में सिख गुरुओं की शहादत पर केन्द्रित वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाएगा। उन्होंने सिख गुरुओं के इतिहास को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने की भी घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा, “तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश से सरहिन्द के नवाब वज़ीर खान ने छोटे साहिबज़ादे अर्थात साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह तथा साहिबज़ादा फतेह सिंह को इस्लाम स्वीकार न करने तथा अपने धर्म पर दृढ़ रहने की सजा के फलस्वरूप उन्हें जीवित ही दीवार में चुनवा दिया था।”

उन्होंने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह के चारों सुपुत्रों-साहिबज़ादा अजीत सिंह, साहिबज़ादा जुझार सिंह, साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह तथा साहिबज़ादा फतेह सिंह को सामूहिक रूप से साहिबज़ादा के तौर पर सम्बोधित किया जाता है। गुरु गोबिन्द सिंह ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने पुत्रों को समर्पित करते हुए दुःखी न होकर पूरे उत्साह के साथ कहा था-‘चार नहीं तो क्या हुआ, जीवित कई हजार’।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुबाणी कीर्तन हम सबको देश और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि सिख इतिहास पढ़ने पर पता चलता है कि विदेशी आक्रान्ताओं ने जब भारत के धर्म और संस्कृति को नष्ट करने, भारत के वैभव को पूरी तरह समाप्त करने का एक मात्र लक्ष्य बना लिया था, तब गुरु नानक ने भक्ति के माध्यम से अभियान प्रारम्भ किया और कीर्तन उसका आधार बना।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री को सरोपा तथा स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया। मुख्यमंत्री ने मंत्रिपरिषद के सदस्यों और सिख समाज के प्रमुख सन्तों के साथ बैठकर लंगर में प्रसाद भी ग्रहण किया।

कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी संबोधित किया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: The history of Sikh Gurus will be included in the syllabus: Yogi

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे