न्यायालय ने वाद 1958 से लंबित रहने का संज्ञान लिया, याचिकाकर्ताओं से उच्च न्यायालय जाने को कहा

By भाषा | Published: January 25, 2021 10:57 PM2021-01-25T22:57:22+5:302021-01-25T22:57:22+5:30

The court took cognizance of the suit pending since 1958, asking the petitioners to go to the High Court | न्यायालय ने वाद 1958 से लंबित रहने का संज्ञान लिया, याचिकाकर्ताओं से उच्च न्यायालय जाने को कहा

न्यायालय ने वाद 1958 से लंबित रहने का संज्ञान लिया, याचिकाकर्ताओं से उच्च न्यायालय जाने को कहा

नयी दिल्ली, 25 जनवरी नवाब मीर यूसुफ अली खान सलार जंग तृतीय के वंशज 62 साल पुराने संपत्ति विवाद को सोमवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष लाये और शीर्ष अदालत से सरकारी प्राधिकारियों को संपत्ति उनके पक्ष में जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया।

शीर्ष अदालत ने नवाब की संपत्ति से संबंधित वाद 1958 से लंबित रहने को संज्ञान में लिया और याचिकाकर्ताओं सैयद जाहिद अली और अन्य से कहा कि वे तेलंगाना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटायें। शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय ‘‘समयबद्ध तरीके से’’ इसके निपटारे के लिए उचित निर्देश पारित कर सकता है।

दिवंगत नवाब के प्रत्यक्ष वंशज और उत्तराधिकारियों द्वारा दायर याचिका सुनवायी के लिए प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आई थी। नवाब का मार्च 1949 में निधन हो गया था।

याचिकाकर्ताओं के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को मामले की पृष्ठभूमि के साथ-साथ वाद 1958 से उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित रहने की जानकारी दी।

पीठ ने कहा, ‘‘हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस रिट याचिका पर सुनवायी करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, हमारा मानना ​​है कि याचिकाकर्ताओं के लिए यह उचित होगा कि उन्होंने जिस राहत का अनुरोध किया है वे उसके लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत उच्च न्यायालय की शक्तियों के इस्तेमाल का अनुरोध करें।’’

सुनवायी वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई। इस दौरान, सिंघवी ने पीठ को अदालतों द्वारा पारित विभिन्न आदेशों सहित मामले के विवरण के बारे में बताया और कहा कि इनमें से एक वाद 1958 से लंबित है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि आपको तेलंगाना उच्च न्यायालय जाना चाहिए।

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Web Title: The court took cognizance of the suit pending since 1958, asking the petitioners to go to the High Court

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