अवमानना संबंधी अधिकार क्षेत्र का मूलभूत उद्देश्य न्यायिक मंचों की मर्यादा बनाये रखना है :न्यायालय
By भाषा | Updated: September 29, 2021 22:34 IST2021-09-29T22:34:49+5:302021-09-29T22:34:49+5:30

अवमानना संबंधी अधिकार क्षेत्र का मूलभूत उद्देश्य न्यायिक मंचों की मर्यादा बनाये रखना है :न्यायालय
नयी दिल्ली, 29 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अवमानना संबंधी न्यायाधिकार का मूलभूत उद्देश्य न्यायिक संस्थानों की मर्यादा बनाकर रखना है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा, ‘‘अवमानना संबंधी फैसलों का अधिकार होने का कारण न्यायिक संस्थानों की मर्यादा बनाये रखना है। यह कोई प्रतिशोधात्मक कवायद नहीं है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अक्सर इनकी अनदेखी की जाती है लेकिन जब पूरी स्वतंत्रता के बावजूद हर समय याचिका दाखिल करने वाले वादी सभी पर कीचड़ उछालकर अपने अस्तित्व को जायज ठहराना चाहते हैं तो अदालत को हस्तक्षेप करना होता है।’’
एनजीओ ‘सुराज इंडिया ट्रस्ट’ के अध्यक्ष राजीव दहिया के आवेदन पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह टिप्पणी की। याचिका में शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले को वापस लेने की मांग की गयी है जिसमें दहिया पर पिछले कुछ सालों में 64 जनहित याचिकाएं दाखिल करने पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायिक मामलों के संबंध में व्यक्तिगत रूप से पेश होते समय अदालत को बदनाम करने की प्रवृत्ति के रूप में आक्षेप लगाने के लिए कोई पूर्ण लाइसेंस नहीं है।
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