Jammu & Kashmir: हमलों के पहले बंदूक की नोक पर शरण ले रहे घरों में आतंकी, घाटी में डर का माहौल
By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 11, 2024 03:01 PM2024-07-11T15:01:36+5:302024-07-11T15:05:49+5:30
करीब डेढ़ दर्जन युवा आतंकियों के लिए मच्छेड़ी इलाके के गांव सडोता की एक बुजुर्ग महिला ने खाना तैयार किया था। यह जानकारी हमले के शक में पकड़े गए 24 के करीब लोगों से पूछताछ के बाद सामने आई है।
जम्मू: हीरानगर, मच्छेड़ी, रियासी और राजौरी व पुंछ के इलाकों में हुए आतंकी हमलों की जांच में एक तथ्य जो सामने आया है वह यह है कि जम्मू संभाग के लोगों की दरियादिली का आतंकी गलत फायदा उठाते हुए शरण पाने के साथ-साथ अन्न और पानी भी पा रहे हैं। कहीं-कहीं पर यह बंदूक के जोर पर भी है।
पिछले महीने हीरानगर के सैडा सोहल गांव में मारे गए दो आतंकियों ने भी सबसे पहले गांव के कुछ घरों में जबरदस्ती शरण लेकर भोजन और पानी की मांग की थी। हालांकि वे समय पर गांववालों द्वारा पुलिस को सूचित कर दिए जाने के कारण सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए पर बिलावर के मच्छेड़ी में हमला करने वाला आतंकियों का दल ऐसा करने में कामयाब रहा था।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, करीब डेढ़ दर्जन युवा आतंकियों के लिए मच्छेड़ी इलाके के गांव सडोता की एक बुजुर्ग महिला ने खाना तैयार किया था। यह जानकारी हमले के शक में पकड़े गए 24 के करीब लोगों से पूछताछ के बाद सामने आई है। यही नहीं अब यह भी सामने आया है कि ये डेढ़ दर्जन के करीब आतंकी बाद में 3 और 4 के गुटों के बंट कर विभिन्न क्षेत्रों की ओर चले गए थे।
एक और जानकारी के बकौल, आतंकियों ने कई अन्य घरों से भी भोजन और पानी एकत्र करने की कोशिश की थी पर कामयाब नहीं हो पाए थे क्योंकि आसपास के गांवों में संदिग्धों को देखे जाने की अफवाहों के साथ ही सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान आरंभ कर दिया था।
हालांकि जांच अधिकारी अभी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि मच्छेड़ी में हमला करने वाला गुट इतने दिनों से कहां शरण लिए हुए था। पर वे जोर देकर कहते थे कि हमले में शामिल आतंकी उसी दल के हिस्सा थे जो जून के दूसरे हफ्ते में इंटरनेशनल बार्डर को पार कर इस ओर आया था और इसमें अनुमानतः दो दर्जन के करीब आतंकी थे।