हैदराबाद एनकाउंटर: न्यायिक जांच का आदेश, पूर्व न्यायाधीश सिरपुरकर होंगे तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग के अध्यक्ष

By भाषा | Published: December 13, 2019 05:42 AM2019-12-13T05:42:24+5:302019-12-13T05:42:24+5:30

हैदराबाद एनकाउंटरः न्यायालय ने तीन सदस्यीय जांच आयोग को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की सुरक्षा मुहैया कराने का भी आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि रिपोर्ट पेश करने की छह महीने की समय-सीमा आयोग के समक्ष सुनवाई शुरू होने के पहले दिन से शुरू होगी।

Telangana encounter deaths: SC orders judicial inquiry under former SC judge VS Sirpurkar | हैदराबाद एनकाउंटर: न्यायिक जांच का आदेश, पूर्व न्यायाधीश सिरपुरकर होंगे तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग के अध्यक्ष

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Highlightsउच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना में पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के चारों आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच का बृहस्पतिवार को आदेश दिया। न्यायालय ने इस मुठभेड़ की जांच के लिये गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की बागडोर शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वी एस सिरपुरकर को सौंपी है।

उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना में पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के चारों आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच का बृहस्पतिवार को आदेश दिया। न्यायालय ने इस मुठभेड़ की जांच के लिये गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की बागडोर शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वी एस सिरपुरकर को सौंपी है। जांच आयोग के अन्य सदस्यों में बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रेखा संदूर बाल्डोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक डी आर कार्तिकेयन शामिल हैं। आयोग को छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपनी है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने इसके साथ ही तेलंगाना उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में इस घटना के संबंध में लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी है। पीठ ने मुठभेड़ के इस मामले की जांच के लिये गठित विशेष जांच दल की रिपोर्ट तलब करने के साथ ही कहा कि उसके अगले आदेश तक जांच आयोग के समक्ष लंबित इस मामले में कोई अन्य प्राधिकार इसकी जांच नहीं करेगा।

न्यायालय ने तीन सदस्यीय जांच आयोग को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की सुरक्षा मुहैया कराने का भी आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि रिपोर्ट पेश करने की छह महीने की समय-सीमा आयोग के समक्ष सुनवाई शुरू होने के पहले दिन से शुरू होगी और इसे छह दिसंबर की घटना की जांच करने के लिये जांच आयोग को कानून के तहत सभी अधिकार प्राप्त होंगे। पीठ ने कहा कि ‘‘इस घटना के बारे में परस्पर विरोधी तथ्यों को देखते हुये सच्चाई का पता लगाने के लिये जांच जरूरी है।’’

पीठ ने कहा कि आयोग हैदराबाद में बैठेगा और सचिवालय कर्मचारियों समेत सारे खर्च तेलंगाना सरकार वहन करेगी। साथ ही, राज्य सरकार आयोग को जरूरी सारी सहायता प्रदान करेगी। पीठ ने मामले की रिपोर्टिंग पर पाबंदी लगाने के सुझावों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पहली नजर में उसकी राय है कि मीडिया पर कोई पाबंदी नहीं हो सकती। पीठ ने तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के इस कथन का भी संज्ञान लिया कि पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में विशेष जांच दल इस घटना की जांच कर रहा है और वह अपनी रिपोर्ट देगा।

पीठ को यह भी बताया गया कि विशेष जांच दल इन चार व्यक्तियों की मौत के कारणों की भी जांच कर रहा है जो पशु चिकित्सक की हत्या और बलात्कार के आरोपी थे और उन्हें घटनास्थल पर ले जाने वाले पुलिस अधिकारियों की हत्या के प्रयास के आरोप में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विशेष जांच दल की जांच के बाद मृत व्यक्तियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता और न ही उन्हें सजा दी सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘हम नहीं समझ पा रहे कि यह कैसे प्रमाणित किया जाये कि ऐसे मुकदमे से इस घटना से संबंधित सच्चाई का पता कभी भी लग सकेगा जिसमें कहा जाता है कि पुलिस ने मुठभेड़ की और इसमें चारों आरोपी मारे गये।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए हमारी सुविचारित राय है कि छह दिसंबर की सुबह हैदराबाद में चारों आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की परिस्थितियों की जांच करने के लिये जांच आयोग गठित करने की आवश्यकता है। इससे पहले, सवेरे सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने कहा कि उसका मानना है कि मुठभेड़ में चार आरोपियों के मारे जाने की घटना की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।

तेलंगाना मुठभेड़ की घटना को लेकर न्यायालय में दो जनहित याचिकायें दायर की गयी हैं। पहली याचिका अधिवक्ता जी एस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने दायर की है जबकि दूसरी याचिका एक अन्य अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने दायर की है। इनमें संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध किया गया है।

मणि और यादव की याचिका में दावा किया गया है कि कथित मुठभेड़ ‘फर्जी’ थी और इस घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। इसी तरह, मनोहरलाल शर्मा ने शीर्ष अदालत की निगरानी में इस घटना की विशेष जांच दल से जांच कराने का अनुरोध किया था। तेलंगाना पुलिस इन आरोपियों को घटनास्थल पर ले गयी थी जहां सवेरे साढ़े छह बजे हुई मुठभेड़ में इन चारों आरोपियों को गोली मार दी गयी। पुलिस का दावा है कि इन आरोपियों ने उनके हथियार छीनने की कोशिश की और उन पर हमला किया जिसके जवाब में की गयी कार्रवाई में चारों आरोपी मारे गये।

 

Web Title: Telangana encounter deaths: SC orders judicial inquiry under former SC judge VS Sirpurkar

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