तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण से बचाने वाले अंतरिम आदेश को 19 जुलाई तक बढ़ाया
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: July 5, 2023 01:30 PM2023-07-05T13:30:53+5:302023-07-05T13:32:58+5:30
तीस्ता सीतलवाड़ पर 2001 के गुजरात दंगों से संबंधित मामले में दस्तावेजों में कथित जालसाजी, गवाहों को बरगलाने और देश और विदेश में राज्य और उसके पदाधिकारियों को बदनाम करने के लिए सिस्टम को प्रभावित करने का आरोप है।
नई दिल्ली: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 2002 के सांप्रदायिक दंगों से संबंधित जालसाजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी से बचाने वाले अपने अंतरिम आदेश को 19 जुलाई तक बढ़ा दिया।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने बुधवार, 5 जुलाई को हुई सुनवाई में गुजरात सरकार को नोटिस भी जारी किया। इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी और उन्हें तत्काल आत्मसमर्पण करने को कहा था। गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची तीस्ता सीतलवाड़ के मामले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने 1 जुलाई को देर रात तक विशेष सुनवाई की थी और तीस्ता को गिरफ्तारी से बचाया था।
तीस्ता सीतलवाड़ पर 2001 के गुजरात दंगों से संबंधित मामले में दस्तावेजों में कथित जालसाजी, गवाहों को बरगलाने और देश और विदेश में राज्य और उसके पदाधिकारियों को बदनाम करने के लिए सिस्टम को प्रभावित करने का आरोप है।
इस मामले में सितंबर 2022 में शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत मिलने के बाद से सीतलवाड़ जेल से बाहर हैं। तीस्ता सीतलवाड़ को जून 2022 में गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के साथ गोधरा के बाद हुए दंगों के मामलों में "निर्दोष लोगों" को फंसाने के लिए कथित तौर पर गढ़े गए सबूतों के लिए अहमदाबाद अपराध शाखा पुलिस द्वारा दर्ज एक अपराध में गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले में अदालत ने पाया था कि सीतलवाड़ ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करने का प्रयास किया और उन्हें जेल भेजने की कोशिश की। गुजरात उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि प्रथम दृष्टया तीस्ता ने अपने करीबी सहयोगियों और दंगा पीड़ितों का इस्तेमाल चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष झूठे और मनगढ़ंत हलफनामे दाखिल करने के लिए किया था।