दंगों की जांच के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक तरीके से हुआ इस्तेमाल : दिल्ली पुलिस प्रमुख

By भाषा | Published: February 19, 2021 08:53 PM2021-02-19T20:53:32+5:302021-02-19T20:53:32+5:30

Technology has been widely used to investigate riots: Delhi Police Chief | दंगों की जांच के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक तरीके से हुआ इस्तेमाल : दिल्ली पुलिस प्रमुख

दंगों की जांच के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक तरीके से हुआ इस्तेमाल : दिल्ली पुलिस प्रमुख

नयी दिल्ली, 19 फरवरी दिल्ली पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे से जुड़े 750 से ज्यादा मामलों की जांच के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक तरीके से इस्तेमाल करते हुए 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया।

दिल्ली पुलिस मुख्यालय में वार्षिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि दंगों के सिलसिले में 755 प्राथमिकी दर्ज की गयी और पुलिस बल ने ‘पारदर्शी और निष्पक्ष’ जांच सुनिश्चित की।

पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गयी थी और कई लोग घायल हो गए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘आपको पता है कि दंगे में 53 लोगों की मौत हुई और 581 लोग घायल हुए थे। पिछले साल 24 और 25 फरवरी को दंगों के दौरान सबसे ज्यादा हिंसक घटनाए हुईं। कुल 755 प्राथमिकी दर्ज की गयीं और हमने सुनिश्चित किया कि किसी को यह शिकायत ना रहे कि उनके मामले को नहीं सुना गया।’’

उन्होंने कहा कि मामलों की जांच के लिए तीन एसआईटी बनायी गयी। सभी महत्वपूर्ण मामले (करीब 60) अपराध शाखा के तहत तीनों एसआईटी के पास स्थानांतरित किए गए।

श्रीवास्तव ने कहा कि एक मामला दंगों के पीछे की साजिश को उजागर करने के लिए दर्ज किया गया। इसकी जांच दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने की जबकि बाकी मामलों की जांच उत्तर-पूर्वी जिले की पुलिस ने की।

पुलिस के मुताबिक उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे से जुड़े 400 मामलों में अब तक 1818 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया गया और विज्ञान तथा तकनीक पर आधारित साक्ष्यों को खारिज नहीं किया जा सकता।’’

तकनीक के इस्तेमाल का ब्योरा देते हुए दिल्ली पुलिस प्रमुख ने कहा कि 231 आरोपियों को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘उनमें से 137 की पहचान एफआरएस (चेहरा पहचान तकनीक) के जरिए की गयी और आपराधिक रिकार्ड का मिलान किया गया। बाकी 94 मामले में छानबीन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की तस्वीरों का इस्तेमाल हुआ।’’

उन्होंने कहा कि जांच टीम ने आरोपियों की पहचान के लिए वीडियो फुटेज और एफआरएस का इस्तेमाल कर सीसीटीवी फुटेज को खंगाला। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के डेटा, लोकेशन का भी प्रयोग किया गया।

उन्होंने कहा कि डीएनए फिंगर प्रिंटिंग, ई-वाहन डाटाबेस, चेहरा पहचान तकनीक का इस्तेमाल किया गया और कोष के लेन-देन का विश्लेषण किया गया।

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