तमिलनाडु ने ‘तमिल थाई वजथु’ को राजकीय गीत घोषित किया

By भाषा | Updated: December 17, 2021 19:45 IST2021-12-17T19:45:08+5:302021-12-17T19:45:08+5:30

Tamil Nadu declares 'Tamil Thai Vajathu' as state song | तमिलनाडु ने ‘तमिल थाई वजथु’ को राजकीय गीत घोषित किया

तमिलनाडु ने ‘तमिल थाई वजथु’ को राजकीय गीत घोषित किया

चेन्नई, 17 दिसंबर तमिलनाडु सरकार ने तमिल मातृभूमि की प्रशंसा में गाए जाने वाले गीत ‘तमिल थाई वजथु’ को ‘राज्य गीत’ घोषित किया है और निर्देश दिया कि इसके गायन के दौरान मौजूद सभी लोग खड़े रहें।

तमिलनाडु सरकार का यह निर्णय मद्रास उच्च न्यायालय के हालिया फैसले के बाद आया है जिसमें उच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘तमिल थाई वजथु’ केवल एक प्रार्थना गीत है, यह राष्ट्रगान नहीं है। इसलिए, जब इसे गाया जाता है तो हर किसी को खड़े होने की आवश्यकता नहीं है।

अदालत ने कहा था कि तमिल थाई वाज़थु गाए जाने पर उपस्थित लोगों को खड़े होने के लिए कोई वैधानिक या कार्यकारी आदेश नहीं है, लेकिन इसके प्रति सर्वोच्च सम्मान और आदर दिखाया जाना चाहिए ।’’

मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि इस आशय के संबंध में एक शासकीय आदेश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 55 सेकेंड के गीत को गाए जाने के दौरान दिव्यांगों को छोड़कर सभी लोगों को खड़े रहना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने शासकीय आदेश के हवाले से बयान में कहा है कि इसे राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य सार्वजनिक मंचों पर किसी भी समारोह के शुरू होने से पहले गाया जाना चाहिए।

यहां 2018 में, एक समारोह में, कांची कामकोटि पीठम के पुजारी, श्री विजयेंद्र सरस्वती वाजथु गायन के दौरान बैठे रहे थे जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया था।

इसके बाद, एक पार्टी नेता कान इलांगो के नेतृत्व में, प्रदर्शनकारी कांची मठ की रामेश्वरम शाखा के सामने भड़काऊ नारे लगाते हुए जमा हो गए।

प्रदर्शनकारी कथित रूप से जूता चप्पल पहने ही मठ के परिसर में प्रवेश कर गये और धार्मिक संस्थान के प्रबंधक ने जब उन्हें रोका उनलागों ने उन्हें धमकाया था जिसके बाद प्रबंधक की शिकायत के आधार पर मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई।

चूंकि पार्टी नेता और मठ प्रबंधक ने हाथ मिला लिया, इसके बाद प्राथमिकी को रद्द करते हुए, उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने छह दिसंबर 2021 को अपने आदेश में कहा था कि पुजारी को 'ध्यान' की मुद्रा में बैठे देखा जा सकता है और उनकी आंखें बंद हैं ।

अदालत ने कहा कि तमिल मातृभूमि के प्रति आदर और सम्मान दिखाने का यह उनका तरीका था। ‘‘चूंकि, तमिल थाई वाजथु एक प्रार्थना गीत है’’ एक संन्यासी का ध्यान की मुद्रा में बैठना निश्चित रूप से उचित है ।

न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन ने आदेश में कहा, ‘‘यह सच है कि जब भी तमिल थाई वाजथु गाया जाता है तो श्रोता पारंपरिक रूप से खड़े होते हैं । लेकिन सवाल यह है कि क्या सम्मान और आदर दिखाने का यही एकमात्र तरीका है । जब हम बहुलवाद और विविधता का जश्न मनाते हैं, तो इस बात पर जोर देना कि सम्मान दिखाने का केवल एक ही तरीका हो सकता है, पाखंड है।

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Web Title: Tamil Nadu declares 'Tamil Thai Vajathu' as state song

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