मरकज निजामुद्दीनः 200 देशों में फैला गुमनाम संगठन, 1920 के दशक में स्थापन, 15 करोड़ अनुयायी, जानिए क्या है तबलीगी जमात
By हरीश गुप्ता | Published: April 1, 2020 07:10 AM2020-04-01T07:10:15+5:302020-04-01T08:18:57+5:30
एफबीआई का अनुमान है कि अमेरिका में तबलीगी जमात के 50 हजार सदस्य सक्रिय हो सकते हैं. वैसे, इसका एक सदस्य अमेरिका में 9/11 बमबारी से जुड़ा था.
नई दिल्लीः यदि आपको लगता है कि तबलीगी जमात छोटा संगठन है तो आप अचरज में पड़ सकते हैं. अल्पज्ञात इस्लामी मिशनरी आंदोलन की स्थापना 1920 के दशक में हरियाणा के मेवात क्षेत्र में हुई थी. मुहम्मद इलियास अल-कंधलवी ने देवबंदी आंदोलन की शाखा के रूप में इसे स्थापित किया. यह 1946-47 में निजामुद्दीन में स्थानांतरित हो गया और तब से इसने अपने आकार और सीमा का विस्तार किया.
राजनीति और मीडिया की चमक-दमक से दूर रहकर इस संगठन ने 15 करोड़ अनुयायियों के साथ दुनिया के करीब 200 देशों में अपना फैलाव किया. वैसे, अमेरिका में 9/11 बमबारी में इस संगठन का एक सदस्य शामिल था. विभाजन के बाद इसने पहली बार पाकिस्तान, बांग्लादेश (1971 के बाद) और उसके बाद दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ अफ्रीका में प्रवेश किया.
पहले विदेशी मिशनों को सऊदी अरब और ब्रिटेन भेजने के बाद यूरोप और अमरीका भेजा गया. इस संगठन ने यूरोप महाद्बीप खासकर फ्रांस में बड़ी उपस्थिति दर्ज कराई और 2007 में ब्रिटेन के 1350 मस्जिदों में इसके 600 सदस्य शामिल थे. 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद इस आंदोलन ने मध्य एशिया में प्रवेश किया. 2007 में अनुमान लगाया गया था कि किगिस्तान में तबलीगी जमात के 10 हजार सदस्य हो सकते हैं जो शुरू में पाकिस्तानियों की ओर से संचालित थे.
एफबीआई का अनुमान है कि अमेरिका में तबलीगी जमात के 50 हजार सदस्य सक्रिय हो सकते हैं. वैसे, इसका एक सदस्य अमेरिका में 9/11 बमबारी से जुड़ा था. तबलीगी जमात की गतिविधियों पर नजर रखने वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय का मानना है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आंदोलन है. तबलीगी जमात के अधिकतर अनुयायी दक्षिण एशिया में रहते हैं. प्यू रिसर्च सेंटर की धर्म और सार्वजनिक जीवन परियोजना इकाई का अनुमान है दुनियाभर में इस संगठन के 12 से 80 मिलियन अनुयायी हैं.
गतिविधियों का समन्वय करता है मरकज
निजामुद्दीन स्थित मरकज इस संगठन का अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय है जो दुनियाभर में संचालित गतिविधियों का समन्वय करता है. आधिकारिक रूप से मुख्यालय स्वयंसेवकों, खुद धन खर्च करने वाले 10 से 12 लोगों वाले समूहों (जमात) की व्यवस्था करता है जो मुसलमानों को अल्लाह के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है. ये जमात और धर्म उपदेशक मिशनों को इनके संबंधित सदस्य वित्तीय सहायता देते हैं. इसमें किताब के बदले व्यक्तिगत संवाद पर जोर दिया जाता है. काफी हद तक इसी कारण से इतने विशाल संगठन की गतिविधियों को कभी नहीं जाना जा सका.