सुषमा स्वराजः दिल्ली, बेल्लारी और विदिशा से चुनाव लड़ीं, भाजपा की पहली महिला जो सीएम बनीं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 7, 2019 12:17 PM2019-08-07T12:17:56+5:302019-08-07T12:17:56+5:30
स्वराज ने दिल्ली, बेल्लारी और मध्य प्रदेश के विदिशा से चुनाव लड़ीं। वह 4 बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा की सांसद रहीं। तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। सबसे पहले 1990 में हरियाणा से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुई। 1996 और 1998 में दिल्ली से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की।
भाजपा की सीनियर नेता और दिल्ली की पूर्व सीएम सुषमा स्वराज का मंगलवार को निधन हो गया। वह 67 साल की थीं। दिल्ली स्थित एम्स में अंतिम सांस ली। स्वराज की छवि से सभी कायल थे। चाहे पक्ष हो या विपक्ष। सभी सम्मान करते थे।
स्वराज ने दिल्ली, बेल्लारी और मध्य प्रदेश के विदिशा से चुनाव लड़ीं। वह 4 बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा की सांसद रहीं। तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। सबसे पहले 1990 में हरियाणा से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुई। 1996 और 1998 में दिल्ली से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की।
1999 के लोकसभा चुनाव में वह हार गईं। कर्नाटक के बेल्लारी से चुनाव वह तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ी थीं। वह 7 प्रतिशत की मार्जिन से हारी थीं। लेकिन बेल्लारी में वह प्रचार के दौरान कन्नड़ में लोगों को संबोधित करती थीं। 2009 के लोकसभा चुनाव में वह मध्य प्रदेश के विदिशा से 4 लाख मतों से जीत दर्ज की। लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया।
2014 में फिर से विदिशा से चुनाव जीता और देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री बनीं। 25 साल की उम्र में 1977 में वह हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री होने का श्रेय भी मिला। इसके साथ ही दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का श्रेय भी सुषमा स्वराज को जाता है।
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी और बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं। वह 1996 में 13 दिन तक चली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थीं और 1998 में वाजपेयी के पुन: सत्ता में आने के बाद स्वराज को फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया। चुनौतियां स्वीकार करने को हमेशा तत्पर रहने वाली स्वराज ने 1999 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
स्वराज 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष रहीं
वह 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष भी रहीं। स्वराज के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल में दूरसंचार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य विभागों जैसी जिम्मेदारियां भी रहीं। उनका विवाह उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल से हुआ था, जो 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल रहे।
कौशल भी 1998 से 2004 तक संसद सदस्य रहे। स्वराज को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार भी मिला था। विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत-पाक और भारत-चीन संबंधों सहित रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई मुद्दों को देखा और बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई।
भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध को दूर करने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रख जाएगा। स्वराज की तारीफ हर राजनीतिक दल के लोग करते थे। लोग उनकी भाषण कला को पसंद करते थे। वह जब संसद में बोलती थीं तो सदस्य उन्हें गंभीरता के साथ सुनते थे।
1998 में वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। इसके साथ ही वह भारतीय जनता पार्टी की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। वह 1977 में अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गईं। चौधरी देवी लाल की सरकार में वह श्रम मंत्री बनीं और 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया था।
सुषमा स्वराज की उपलब्धियां
977 में अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गईं
25 साल की उम्र में 1977 में वह हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री
1979 में 27 साल की आयु में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनीं
1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
वह भारतीय जनता पार्टी की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं
स्वराज 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष रहीं
देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का श्रेय
भाजपा की प्रथम महिला मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मन्त्री, महासचिव, प्रवक्ता, विपक्ष की नेता एवं विदेश मंत्री बनीं
संसद की प्रथम एवं एकमात्र ऐसी महिला सदस्य हैं, जिन्हें आउटस्टैण्डिंग पार्लिमैण्टेरियन सम्मान मिला
हरियाणा में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की चार वर्ष तक अध्यक्षा भी रहीं