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सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन पर बरकरार रखा केंद्र सरकार का फैसला, जानिए मामला

By मनाली रस्तोगी | Updated: March 16, 2022 11:41 IST

वन रैंक वन पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि उसे ओआरओपी सिद्धांत और 7 नवंबर 2015 की अधिसूचना पर कोई संवैधानिक दोष नहीं लगता है।

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ठळक मुद्देवन रैंक वन पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा है।कोर्ट का कहना है कि उसे ओआरओपी सिद्धांत और 7 नवंबर 2015 की अधिसूचना पर कोई संवैधानिक दोष नहीं लगता है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) पर सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। इसके साथ ही कोर्ट का कहना है कि उसे ओआरओपी सिद्धांत और 7 नवंबर 2015 की अधिसूचना पर कोई संवैधानिक दोष नहीं लगता है। इस मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने फैसला सुनाया है।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी इस पीठ में शामिल रहे। 

बताते चलें कि ओआरओपी के खिलाफ भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन की ओर से याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि ओआरओपी नीति का क्रियान्वयन दोषपूर्ण है। पीठ ने फरवरी के महीने में याचिका पर सुनवाई करते हुएअपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। भारतीय भूतपूर्व सैनिक आंदोलन (आईईएसएम) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी पेश हुए थे। 

इस दौरान अहमदी ने दलील दी थी कि यह फैसला मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है क्योंकि यह वर्ग के भीतर वर्ग बनाता है और प्रभावी रूप से एक रैंक को अलग-अलग पेंशन देता है। मालूम हो, 7 नवंबर 2011 को केंद्र सरकार की ओर से एक आदेश जारी कर वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने का फैसला लिया था। हालांकि, साल 2015 से पहले इसे लागू नहीं किया जा सका। 30 जून 2014 तक सेवानिवृत्त हुए सैन्यबल कर्मी इस योजना के दायरे में आते हैं।

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