केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में शीर्ष स्तर पर मचे घमासान के बीच सरकार द्वारा अचानक छुट्टी पर भेज देने का मामला लेकर सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने बीते दिन (24 अक्टूबर) सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर याचिका दायर की, जिस पर शीर्ष अदालत शुक्रवार को सुनवाई करेगी।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच 25 अक्टूबर को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने को चुनौती दी गई है।
वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्हें 'रातोंरात' दी गई जिम्मेदारियों को वापस ले लिया जाना एजेंसी की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताया। याचिका में उन्होंने कहा कि सीबीआई से अपेक्षा की जाती है कि वह पूरी तरह से स्वतंत्र और स्वायत्तता के साथ काम करे और ऐसी स्थिति में कुछ ऐसे अवसर भी आते हैं जब उच्च पदाधिकारियों के मामलों की जांच वह दिशा नहीं लेती जिसकी सरकार अपेक्षा करती हो।
वर्मा ने कहा कि केन्द्र और केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) का कदम पूरी तरह से गैरकानूनी है और ऐसे हस्तक्षेप से इस प्रमुख जांच संस्था की स्वतंत्रता तथा स्वायत्तता का क्षरण होता है।
सरकार का यह कदम सीवीसी की वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेजने और उनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिये एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की सिफारिश के कुछ घंटों बाद आया। के वी चौधरी की अध्यक्षता वाले सीवीसी के पास भ्रष्टाचार के मामलों में सीबीआई पर अधीक्षण होता है।