राजस्थान स्पीकर CP जोशी की याचिका पर SC में सोमवार सुबह 11 बजे सुनवाई, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर कि है याचिका
By स्वाति सिंह | Published: July 25, 2020 07:26 PM2020-07-25T19:26:02+5:302020-07-25T19:26:02+5:30
शुक्रवार को सचिन पायलट कैंप को आंशिक राहत मिली जब राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर सीपी जोशी द्वारा समूह को जारी की गई अयोग्यता नोटिसों पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
नई दिल्ली: राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के गुट की याचिका पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी पर सोमवार सुबह 11 बजे सुनवाई होगी। राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
बता दें कि विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने शिकायत की थी कि हाई कोर्ट का आदेश उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच सोमवार सुबह 11 बजे सुनवाई करेगी। राजस्थान हाई कोर्ट ने सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए अयोग्यता के नोटिसों पर यथास्थिति बरकरार रखने का शुक्रवार को आदेश दिया था।
विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश वकील ने कहा, '' रिट याचिका को स्वीकार कर लिया गया है और अदालत ने 14 जुलाई को जारी नोटिसों पर यथास्थिति का आदेश दिया है। इस मामले को अब उचित समय पर सुना जाएगा।'' पीठ ने अपने आदेश में कहा कि रिट याचिका सुनवाई योग्य है और याचिकाकर्ताओं की तीन याचिकाओं के आधार पर इसे स्वीकार किया गया है। आदेश के मुताबिक, '' पक्षों और हस्तक्षेपकर्ताओं की दलीलों के दाखिल होने के बाद पक्षों के वकीलों को रिट याचिका की जल्द सुनवाई के लिए आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता होगी। तब तक, 14 जुलाई को जारी नोटिसों पर आज की ही यथास्थिति बरकरार रहेगी।''
इससे पहले, अदालत ने उत्तरदाताओं की सूची में केंद्र को भी शामिल किए जाने वाले एक आवदेन को भी अनुमति प्रदान की। इस बीच, अदालत ने उन दो याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिसमें यह घोषित करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया था कि राजस्थान विधानसभा का सदस्य होने के नाते याचिकाकर्ताओं के कथित कार्य संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2 के तहत अयोग्यता के दायरे में नहीं आते और दसवीं अनुसूची के खंड 2(1)(ए) के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। इन याचिकाओं को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि ये उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
कांग्रेस ने पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई की मांग की थी। विधायक सदन में जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करता है, यदि वह उसकी सदस्यता 'स्वेच्छा' से त्याग देता है तो यह प्रावधान उक्त विधायक को अयोग्य करार देता है। पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो। पायलट और कांग्रेस के बागी विधायकों ने गत शुक्रवार को उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर अयोग्यता नोटिस को चुनौती दी थी और इस पर जिरह भी हुई है। इस याचिका पर सोमवार को भी सुनवाई हुई और बहस मंगलवार को समाप्त हुई। अदालत ने मंगलवार को कहा कि वह रिट याचिका पर शुक्रवार को उचित आदेश देगी। इसबीच विधानसभा अध्यक्ष ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया और वहां बुधवार को एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उप मुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जा चुका है।