अनुच्छेद-35 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

By आदित्य द्विवेदी | Published: August 27, 2018 08:43 AM2018-08-27T08:43:40+5:302018-08-27T08:45:51+5:30

संविधान के अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक और याचिका दायर की गई थी जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। पुरानी याचिका की सुनवाई 31 अगस्त को हो सकती है।

Supreme Court to hear plea on 27 August seeking repel of article 35-A constitution | अनुच्छेद-35 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

अनुच्छेद-35 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

नई दिल्ली, 27 अगस्तः संविधान के अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली नई याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर विधानसभा को विशेष अधिकार और सुविधाओं के लिये ‘स्थाई निवासियों’ को परिभाषित करने का अधिकार प्रदान करता है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर नई याचिका पर सुनवाई करेगी। हालांकि मुख्य मामले की सुनवाई सोमवार की बजाए 31 अगस्त को होने की संभावना है।

यह याचिका गैर सरकारी संगठन ‘इकजुट जम्मू’ ने दायर की है और इसमें इस प्रावधान को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। पहले ही इस प्रावधान को सिविल सोसायटी समूह और व्यक्तिगत रूप से लोग शीर्ष अदालत में चुनौती दे चुके हैं जबकि जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेन्स ने इस अनुच्छेद के समर्थन में याचिका दायर कर रखी है। 

अधिवक्ता सुमित आर शर्मा के माध्यम से दायर नयी याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 35-ए ‘‘दो राष्ट्र के सिद्धांत’’ को आगे बढ़ाता है जो धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर विधान सभा को भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों में अतिक्रमण करने का पूरा अधिकार प्रदान करता है। तत्कालीन राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद ने जवाहरलाल नेहरू मंत्रिपरिषद की सलाह पर 1954 में एक आदेश द्वारा अनुच्छेद 35-ए को संविधान में जोड़ा था। 

गोपाल सुब्रमण्यम करेंगे पैरवी

नेशनल कांफ्रेंस ने संविधान के अनुच्छेद 35-ए के पक्ष में दलीलों के लिए देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम को अपने साथ जोड़ा है। नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता ने कहा कि अब्दुल्ला ने सुब्रमण्यम से मुलाकात की और सुप्रीम कोर्ट में पार्टी की दखल याचिका का प्रतिनिधित्व करने के लिए उनकी सेवा ली है। सुब्रमण्यम बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष हैं और कई सारे महत्वपूर्ण मामले का हिस्सा रह चुके हैं। 

2019 चुनाव की वजह से उठा मुद्दा

ऑल पार्टीज सिख कोआर्डिनेशन कमिटी (एपीएससीसी) ने संविधान के अनुच्छेद 35-ए में किसी बदलाव का विरोध किया। एपीएससीसी अध्यक्ष जगमोहन सिंह रैना की अगुवाई में संगठन के कार्यकर्ता अपना विरोध प्रदर्शित करने के लिए यहां प्रताप पार्क में एकत्र हुए। रैना ने दावा किया कि अनुच्छेद 35-ए को रद्द करने की मांग 2019 के लोकसभा चुनावों से जुड़ी है। उन्होंने दावा किया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनुच्छेद 35-ए के रद्द होने से लाभ प्राप्त करना चाहते हैं ताकि भाजपा 2019 के संसदीय चुनावों में विजयी हो सके।’’ 

क्या है अनुच्छेद 35-ए

साल 1954 में 14 मई को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ दिया गया। संविधान की धारा 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है। 35-ए संविधान का वह अनुच्छेद है जो जम्मू कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को पारभाषित कर सके। वर्ष 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया।

जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो। अनुच्छेद 35-ए की वजह से जम्मू कश्मीर में पिछले कई दशकों से रहने वाले बहुत से लोगों को कोई भी अधिकार नहीं मिला है। 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान को छोड़कर जम्मू में बसे हिंदू परिवार आज तक शरणार्थी हैं।

PTI Bhasha Inputs

Web Title: Supreme Court to hear plea on 27 August seeking repel of article 35-A constitution

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