उच्चतम न्यायालय ने हिप्र उच्च न्यायालय के एक फैसले को बताया समझ में नहीं आने वाला

By भाषा | Published: March 13, 2021 08:54 PM2021-03-13T20:54:35+5:302021-03-13T20:54:35+5:30

Supreme court tells a decision of Hipr High Court, is incomprehensible | उच्चतम न्यायालय ने हिप्र उच्च न्यायालय के एक फैसले को बताया समझ में नहीं आने वाला

उच्चतम न्यायालय ने हिप्र उच्च न्यायालय के एक फैसले को बताया समझ में नहीं आने वाला

नयी दिल्ली, 13 मार्च उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के एक समझ से परे फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस तरह के अदालती आदेश न्याय तक नागरिकों की पहुंच को सुनिश्चित करने के उद्देश्य को पूरा नहीं करते हैं और उनकी समझ में नहीं आ सकते हैं।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि फैसलों में उसके पीछे के तर्क और उस विचार प्रक्रिया से अवगत कराने का मकसद होता है, जो अदालत को अंतिम निष्कर्ष तक ले जाती है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने एक अपील पर सुनवाई के दौरान यह कहा।

यह अपील, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और अन्य ने एक कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई से उपजे विषय में दायर की थी।

पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी और कहा कि बैंक और अन्य के खिलाफ केंद्र सरकार औद्योगिक अधिकरण के फैसले के मुताबिक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाए।

पीठ ने शुक्रवार को जारी अपने आदेश में कहा, ‘‘हमने यह पाया कि उच्च न्यायालय के फैसले की भाषा समझ में आने लायक नहीं है। फैसले का मकसद उस तर्क और विचार प्रक्रिया से अवगत कराना होता है, जो निर्णय करने वाले मंच को अंतिम निष्कर्ष तक ले जाता है।’’

शीर्ष न्यायालय ने उस कर्मचारी को नोटिस जारी किया, जिसके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की गई थी।

न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय की खंड पीठ के 27 नवंबर 2020 के फैसले में बताई गई वजह 18 पृष्ठों से अधिक में है, लेकिन समझ से परे है।

उच्च न्यायालय के इस फैसले के जरिए एसबीआई और अन्य की संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर याचिका खारिज कर दी गई थी।

शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘कोई फैसला लिखने का उद्देश्य उस फैसले के आधार से न सिर्फ बार (वकीलों के संगठन) के सदस्यों को अवगत कराना है, बल्कि नागरिकों को भी उससे अवगत कराना होता है, जो कानून के तहत राहत पाने के लिए अदालतों का रुख करते हैं।’’

बहरहाल, न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Supreme court tells a decision of Hipr High Court, is incomprehensible

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे