देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- इसके गलत इस्तेमाल को कैसे रोकेंगे, 24 घंटे में बताएं
By रुस्तम राणा | Published: May 10, 2022 05:04 PM2022-05-10T17:04:08+5:302022-05-10T17:05:50+5:30
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि इस कानून का गलत तरीके से इस्तेमाल न हो इसके लिए कैसे सुनिश्चित किया जाए?
नई दिल्ली: देशद्रोह कानून (sedition law) के इस्तेमाल पर अक्सर विवाद देखने को मिलता है। कई बार इस कानून पर सियासत भी देखने को मिलती है। इसी विवाद को खत्म करने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि इस कानून का गलत तरीके से इस्तेमाल न हो इसके लिए कैसे सुनिश्चित किया जाए? शीर्ष अदालत ने केंद्र से इस सवाल का 24 घंटे यानी बुधवार तक जवाब मांगा है। साथ ही केंद्र को सुप्रीम कोर्ट ने यह सलाह दी है कि उसे इस कानून का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। अब केंद्र बुधवार को देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा।
कोर्ट ने केंद्र से पूछे अहम सवाल
मामले में सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस कानून से जुड़े कई सवाल पूछे। कोर्ट ने पूछा कि इस कानून पर सरकार कब तक कोई फैसला ले लेगी और तब तक इस कानून का दुरुपयोग न हो यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा? साथ ही जो लोग इस कानून के तहत जेल में बंद हैं उनका क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाया कि क्या ये हो सकता है कि सरकार खुद ही इस कानून का इस्तेमाल न करे जब तक केंद्र सरकार इस मामले पर कोई फैसला नहीं ले लेती।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा- सरकार समय सीमा नहीं बता रही
कोर्ट ने कहा कि देशद्रोह कानून का जमीन पर पालन पुलिस करती है। यदि इस कानून को सरकार स्वयं खत्म करती है तो इसका इस्तेमाल बंद हो जाएगा। याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि सरकार इस कानून को कब रद्द करेगी इसकी कोई-समय सीमा नहीं बता रही है। उन्होंने ऐसे में इस कानून का गलत तरीके से इस्तेमाल आगे भी होता रहेगा।
इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकारी की प्रशंसा की
वहीं देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार की तारीफ भी की है। दरअसल, अदालत ने केंद्र के उस हलफनामें की प्रशंसा की है जिसमें केंद्र ने यह लिखा है कि वह धीरे-धीरे अंग्रेजी हुकुमत के द्वारा बनाए गए कानूनों को धीरे-धीरे खत्म कर रही है। इसी क्रम में पीएम मोदी खुद देशद्रोह कानून पर भी विचार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की मंशा की तारीफ की।