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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला : बेटियों को पिता की स्व-अर्जित और विरासत में मिली संपत्ति पाने का हक

By मनाली रस्तोगी | Updated: January 21, 2022 09:52 IST

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि बिना वसीयत के मृत हिंदू पुरुष की बेटियां पिता की स्व-अर्जित और अन्य संपत्ति पाने की हकदार होंगी और उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों की अपेक्षा वरीयता होगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर आया है जो हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत हिंदू महिलाओं और विधवाओं को संपत्ति अधिकारों से संबंधित था।

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि हिंदू उत्तराधिकार कानून पिता की संपत्ति पर बेटियों को बराबर हक का अधिकार देता है।मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आया है।पीठ किसी अन्य कानूनी उत्तराधिकारी की अनुपस्थिति में बेटी को अपने पिता की स्व-अर्जित संपत्ति को लेने के अधिकार से संबंधित कानूनी मुद्दे पर गौर कर रही थी।

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत हिंदू महिलाओं और विधवाओं के संपत्ति अधिकारों से संबंधित मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले को लेकर कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि बिना वसीयत के मृत हिंदू पुरुष की बेटियां पिता की स्व-अर्जित और अन्य संपत्ति पाने की हकदार होंगी और उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों की अपेक्षा वरीयता होगी।

बता दें कि मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि हिंदू उत्तराधिकार कानून पिता की संपत्ति पर बेटियों को बराबर हक का अधिकार देता है। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि वसीयत के बिना मृत किसी हिंदू पुरुष की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति चाहे वह स्व-अर्जित संपत्ति हो या पारिवारिक संपत्ति के विभाजन में मिली हो, उसका उत्तराधिकारियों के बीच वितरण होगा। 

पीठ ने इसके साथ ही कहा कि ऐसे हिंदू पुरुष की बेटी अपने अन्य संबंधियों (जैसे मृत पिता के भाइयों के बेटे/बेटियों) के साथ वरीयता में संपत्ति की उत्तराधिकारी होने की हकदार होगी। पीठ किसी अन्य कानूनी उत्तराधिकारी की अनुपस्थिति में बेटी को अपने पिता की स्व-अर्जित संपत्ति को लेने के अधिकार से संबंधित कानूनी मुद्दे पर गौर कर रही थी। न्यायमूर्ति मुरारी ने पीठ के लिए 51 पृष्ठों का फैसला लिखते हुए इस सवाल पर भी गौर किया कि क्या ऐसी संपत्ति पिता की मृत्यु के बाद बेटी को मिलेगी जिनकी वसीयत तैयार किए बिना मृत्यु हो गयी और उनका कोई अन्य कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हो। 

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)

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