रिटायर्ड जवान और सुरक्षाबल के अधिकारी पहुंचे उच्चतम न्यायालय, पेंशन लाभ में विसंगतियां खत्म करने की मांग
By भाषा | Published: October 22, 2020 03:38 PM2020-10-22T15:38:22+5:302020-10-22T15:38:22+5:30
केंद्र ने नयी अंशदायी पेंशन योजना की शुरुआत की और यह एक जनवरी 2004 से लागू हुई। एक जनवरी 2004 को जारी अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने पेंशन योजना को भागीदारी वाला बना दिया, जिसमें कर्मचारी के वेतन से हिस्सा कटता है।
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बल के कर्मियों के पेंशन लाभ में विसंगतियों को दूर करने का आग्रह किया गया है।
‘हमारा देश, हमारे जवान ट्रस्ट’ की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने नयी अंशदायी पेंशन योजना की शुरुआत की और यह एक जनवरी 2004 से लागू हुई। एक जनवरी 2004 को जारी अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने पेंशन योजना को भागीदारी वाला बना दिया, जिसमें कर्मचारी के वेतन से हिस्सा कटता है।
वकील अजय के. अग्रवाल के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार गृह मंत्रालय के तहत आने वाले और एक जनवरी 2004 के बाद सेवा में आने वाले सशस्त्र बल के कर्मियों के लिए हाइब्रिड पेंशन योजना लागू कर रही है, जो पुरानी और नयी पेंशन योजना का मिश्रण है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह नयी अंशदायी पेंशन योजना भारत सरकार के सशस्त्र बलों पर लागू नहीं होती है।’’ जनहित याचिका में कहा गया कि गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बलों के लिए छह अगस्त 2004 को स्पष्टीकरण जारी किया गया था कि ये सभी मंत्रालय के तहत केंद्र के सशस्त्र बल हैं। गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बलों में बीएसएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एनएसजी, एसएसबी और असम राइफल्स शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है कि गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बलों के हर कर्मी पुरानी योजना के तहत पेंशन पाना चाहते हैं लेकिन केंद्र सरकार ने इससे इंकार कर दिया है, ‘‘और इस प्रकार रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बलों के साथ भेदभाव हो रहा है जबकि दोनों बल केंद्र के ही सशस्त्र बल हैं।’’ याचिका में कहा गया है कि कई बार आवेदन देने के बावजूद सरकार ने कुछ भी नहीं किया है।