बाबरी मस्जिद मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व जज एसके यादव की सुरक्षा बढ़ाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

By स्वाति सिंह | Published: November 2, 2020 01:06 PM2020-11-02T13:06:53+5:302020-11-02T13:15:12+5:30

16वीं सदी की मस्जिद को छह दिसंबर 1992 को 'कार सेवको' ने तोड़ दिया था, जिनका मानना था कि यह वह स्थल है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। इसके बाद दंगे भड़क गए थे और सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी। एसके यादव ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन इस मामले पर फैसला सुनाया था। 

Supreme Court refuses to increase security of former judge SK Yadav, who pronounced judgment in Babri Masjid case | बाबरी मस्जिद मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व जज एसके यादव की सुरक्षा बढ़ाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

सुरेंद्र कुमार यादव का अयोध्या से काफी पुराना रिश्ता रहा है। दरअसल, उनकी पहली तैनाती अयोध्या में ही हुई थी।

HighlightsSC ने न्यायाधीश एस के यादव की सुरक्षा बढ़ाने से सोमवार को इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, “ पत्र देखने के बाद हम सुरक्षा प्रदान करना उचित नहीं समझते हैं

नयी दिल्ली: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बाबरी विध्वंस मामले में फैसला सुनाने वाले जज को सेवानिवृत्ति के बाद भी सुरक्षा मुहैया कराने की याचिका खारिज कर दी है। मालूम हो कि जज एसके यादव ने बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी नेताओं समेत सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया था। इस मामले में एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत कई बड़े नेता आरोपी थे। 

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ पूर्व न्यायाधीश के आवेदन पर विचार कर रही थी जिसमें उन्होंने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अपनी निजी सुरक्षा को जारी रखने का आग्रह किया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति कृष्णा मुरारी भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, “ पत्र देखने के बाद हम सुरक्षा प्रदान करना उचित नहीं समझते हैं।“ तीस सितंबर को विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा था कि अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने के लिए इन लोगों के किसी भी साजिश का हिस्सा होने के कोई निर्णायक सबूत नहीं हैं।

बाबरी विध्वंस पर फैसला सुनाते ही रिटायर हुए थे जज 

गौरतलब है कि सुरेंद्र कुमार यादव का अयोध्या से काफी पुराना रिश्ता रहा है। दरअसल, उनकी पहली तैनाती अयोध्या में ही हुई थी। जबकि जौनपुर उनका जन्म स्थान है। बता दें कि विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था। आरोपियों में वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के अलावा विनय कटियार और साध्वी रितंभरा शामिल हैं। उमा भारती और कल्याण सिंह कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर दो अलग अलग अस्पतालों में भर्ती हैं।

कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब ही मस्जिद गिरायी थी। सिंह पिछले साल सितंबर में इस मामले की सुनवाई में शामिल हुये थे। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में से एक हैं। उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी ।

Web Title: Supreme Court refuses to increase security of former judge SK Yadav, who pronounced judgment in Babri Masjid case

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