उच्चतम न्यायालय ने ट्रैक्टर परेड हिंसा पर याचिकाओं की सुनवाई करने से किया इनकार

By भाषा | Updated: February 3, 2021 19:38 IST2021-02-03T19:38:09+5:302021-02-03T19:38:09+5:30

Supreme Court refuses to hear petitions on tractor parade violence | उच्चतम न्यायालय ने ट्रैक्टर परेड हिंसा पर याचिकाओं की सुनवाई करने से किया इनकार

उच्चतम न्यायालय ने ट्रैक्टर परेड हिंसा पर याचिकाओं की सुनवाई करने से किया इनकार

नयी दिल्ली, तीन फरवरी उच्चतम न्यायालय ने गणतंत्र दिवस पर किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा की घटना की शीर्ष न्यायालय द्वारा नियुक्त एक आयोग द्वारा जांच कराये जाने सहित समयबद्ध जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने से बुधवार को इनकार कर दिया।

साथ ही, न्यायालय ने कहा कि सरकार विषय की जांच-पड़ताल करने के लिए तैयार है और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने कहा है कि कानून अपना काम करेगा।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय इस समय हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। न्यायालय ने कहा कि वह हिंसा की अनदेखी नहीं कर रहा है और याचिकाकर्ता सरकार के पास प्रतिवेदन दे सकते हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे लेकर आश्वस्त हैं कि सरकार इसकी (हिंसा) जांच कर रही है और उपयुक्त कार्रवाई कर रही है। हमने प्रेस में दिए गए प्रधानमंत्री के इस बयान को पढ़ा है कि कानून अपना काम करेगा। इसका अर्थ यह है कि वह (सरकार) इसकी जांच कर रही है। ’’

पीठ ने कहा, ‘‘ हम इस समय इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। आप जाकर अधिकारियों के पास अपनी अर्जी दे सकते हैं।’’ पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल हैं।

केंद्र के नये कृषि कानूनों के विरोध में 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हजारों प्रदर्शनकारियों ने अवरोधक तोड़ दिए थे, पुलिस के साथ उनकी झड़पें हुई थीं और उन्होंने वाहनों में तोड़-फोड़ की थी तथा लाल किले की प्राचीर पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था।

वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विशाल तिवारी ने इस बारे में आशंका जाहिर की कि अधिकारियों द्वारा की जा रही जांच के दौरान क्या सभी पक्षों को सुना जाएगा।

पीठ ने कहा, ‘‘आप यह कैसे मान सकते हैं कि यह एकपक्षीय होगा? वे यह (जांच) कर रहे हैं और बेशक वे हर चीज की जांच करेंगे।’’

उल्लेखनीय है कि तिवारी ने भी एक याचिका दायर की थी, जिसमें शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग गठित करने का अनुरोध किया गया था, जो इस मामले में साक्ष्यों को एकत्र करे, उन्हें रिकॉर्ड करे और समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे। इस तीन सदस्यीय आयोग में उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को शामिल करने का भी आग्रह किया गया था।

वहीं, जब एक याचिकाकर्ता ने 26 जनवरी की हिंसा की घटना का जिक्र किया तब पीठ ने कहा, ‘‘हम इसकी अनदेखी नहीं कर रहे हैं। ’’

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘रिट याचिकाओं को सरकार के समक्ष उपयुक्त प्रतिवेदन देने की छूट के साथ वापस लेने की अनुमति दी जाती है।’’

पीठ ने तीन अलग याचिकाओं पर यह कहा, जिनमें एक याचिका तिवारी की थी।

इसके अलावा, पीठ ने अधिवक्ता एम एल शर्मा द्वारा दायर एक अन्य याचिका का भी निपटारा किया, जिन्होंने संबद्ध प्राधिकार और मीडिया को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वे बगैर किसी साक्ष्य के किसानों को आतंकवादी घोषित नहीं करें।

पीठ ने शर्मा की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘रिट याचिका खारिज की जाती है। ’’ याचिका में दावा किया गया था कि किसानों के प्रदर्शन में खलल डालने के लिए साजिश रची गई थी।

न्यायालय ने ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से जुड़ी इसी प्रकार की एक अन्य याचिका पर सुनवाई से भी इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता शिखा दीक्षित से सरकार को अर्जी देने को कहा।

तिवारी ने हिंसा और राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के लिए जिम्मेदार लोगों अथवा संगठनों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के वास्ते संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।

तिवारी की याचिका में कहा गया था कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से जारी है और ट्रैक्टर परेड के दौरान इसने ‘‘हिंसक रूप’’ ले लिया।

इसमें कहा गया था कि गणतंत्र दिवस पर पुलिस और किसानों के बीच हुई हिंसा पर पूरी दुनिया की नजरें गई हैं।

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Web Title: Supreme Court refuses to hear petitions on tractor parade violence

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