अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा अहम फैसला, मस्जिद में नमाज इस्लाम का हिस्सा है या नहीं?
By पल्लवी कुमारी | Published: September 26, 2018 06:58 PM2018-09-26T18:58:30+5:302018-09-26T18:58:30+5:30
अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे के विध्वंस की घटना से संबंधित दो मुकदमे हैं। अयोध्या का राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है।
नई दिल्ली, 26 सितंबर:अयोध्या विवाद से जुड़े एक मसले पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार ( 27 सितंबर) को फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई के बाद फैसला लेगा कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का आंतरिक हिस्सा है या नहीं।
गुरुवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ये फैसला करेगी कि क्या 1994 के सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है या नहीं।
Supreme Court is likely to pronounce its verdict tomorrow on the issue whether the Ismail Farooqui judgement in which it was said that mosque is not integral part of Islam will go to a larger Constitution bench or not. #Ayodhyapic.twitter.com/zlRg8nTM9H
— ANI (@ANI) September 26, 2018
क्या है मुस्लिम पक्ष का कहना
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1994 में इस्माइल फारुकी केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। इसलिए इस फैसले पर दोबार विचार किया जाएगा। इसलिए इनका कहना है कि इस पर सुनवाई होनी चाहिए। बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है।
क्या है विवाद
अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे के विध्वंस की घटना से संबंधित दो मुकदमे हैं। अयोध्या का राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है। पहले मुकदमे में अयोध्या की जमीन किसकी है, इस पर अभी सुनवाई होनी बाकी है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को मानने से मना कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि इस जमीन को बांट दिया जाए। हाई कोर्ट ने जमीन को 2:1 के अनुपात में बांटने का फैसला किया गया था। जिसको दोनों पक्षों ने अस्वीकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने ने मध्यकालीन स्मारक को विध्वंस करने की कार्रवाई को ‘अपराध’ बताते हुये कहा था कि इसने संविधान के ‘धर्मनिरपेक्ष ताने बाने’ को हिला कर रख दिया।