सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिप्पणी अवमानना, लेकिन आदर्श आचरण की भी जरूरत है?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: August 19, 2020 08:33 PM2020-08-19T20:33:08+5:302020-08-19T20:33:08+5:30

करीब तीन हजार लोगों ने प्रशांत भूषण के समर्थन में हस्ताक्षर किए और कोर्ट से अपने फैसले को खारिज करने की अपील की है, वहीं 15 पूर्व न्यायाधीशों समेत सौ से ज्यादा लोगों ने पत्र जारी कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति व्यक्त करना सही नहीं है.

Supreme Court of India Prashant Bhushan moves Contempt comment decision but ideal behavior is also needed | सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिप्पणी अवमानना, लेकिन आदर्श आचरण की भी जरूरत है?

न्यायिक व्यवस्था से जुड़े व्यक्तियों के आदर्श आचरण पर भी ध्यान देने की जरूरत है, बदलते समय के साथ इसमें भी सुधार आवश्यक है. (file photo)

Highlightsखबरें हैं कि जो पत्र जारी किया है उसमें उन लोगों की आलोचना की गई है, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं. पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर व्यक्त किया गया नजरिया अत्यधिक आपत्तिजनक और अस्वीकार्य है. हम देश के नागरिक, ऐसे लोगों के समूह द्वारा इस तरह की बयानबाजी से चिंतित हैं.

जयपुरः सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिया है. कोर्ट ने उन्हें न्यायपालिका को लेकर किए गए दो ट्वीट के मामले में अवमानना का दोषी माना है और 20 अगस्त 2020 को इस मामले में सुनवाई के बाद सजा तय होगी.

कोर्ट के इस निर्णय को लेकर पूर्व न्यायाधीशों और कई प्रमुख व्यक्तियों का अलग-अलग नजरिया है. जहां, करीब तीन हजार लोगों ने प्रशांत भूषण के समर्थन में हस्ताक्षर किए और कोर्ट से अपने फैसले को खारिज करने की अपील की है, वहीं 15 पूर्व न्यायाधीशों समेत सौ से ज्यादा लोगों ने पत्र जारी कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति व्यक्त करना सही नहीं है.

खबरें हैं कि जो पत्र जारी किया है उसमें उन लोगों की आलोचना की गई है, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं. पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर व्यक्त किया गया नजरिया अत्यधिक आपत्तिजनक और अस्वीकार्य है. हम देश के नागरिक, ऐसे लोगों के समूह द्वारा इस तरह की बयानबाजी से चिंतित हैं.

यह सही है कि कोर्ट के न्यायाधीश के किसी फैसले पर टिप्पणी करना अवमानना है और ऐसी किसी भी प्रतिक्रिया को सही नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन न्यायिक व्यवस्था से जुड़े व्यक्तियों के आदर्श आचरण पर भी ध्यान देने की जरूरत है, बदलते समय के साथ इसमें भी सुधार आवश्यक है.

उल्लेखनीय है कि प्रशांत भूषण ने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और सुप्रीम कोर्ट के 4 पूर्व न्यायाधीशों को लेकर टिप्पणियां की थी, जिन पर कोर्ट ने स्वतःसंज्ञान लेते हुए इसे न्यायालय की अवमानना माना था. हालांकि, इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण का कहना था कि- ट्वीट भले ही अप्रिय लगे, लेकिन अवमानना नहीं है. वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते!

Web Title: Supreme Court of India Prashant Bhushan moves Contempt comment decision but ideal behavior is also needed

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