नई दिल्ली: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने दिल्ली सेवा अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर 4 जुलाई, मंगलवार को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल को नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन के तौर पर रिटायर्ड जस्टिस उमेश कुमार के शपथग्रहण पर भी 11 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है।
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुंची थी दिल्ली सरकार
केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। ये अध्यादेश दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार से जुड़े मामले में लाया गया था। अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा था कि अध्यादेश असंवैधानिक है। यह संविधान के अनुच्छेद 239एए में संशोधन नहीं करता है और एक निर्वाचित सरकार से नियंत्रण छीनकर एक गैर-निर्वाचित एलजी के हाथों में सौंपता है।
बता दें कि 19 मई को, केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी में आईएएस और दानिक्स अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग का अधिकार लेते हुए एक अध्यादेश जारी किया था। अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस कदम को सेवाओं के नियंत्रण पर शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन बताया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजधानी में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपने के एक सप्ताह बाद यह अध्यादेश जारी किया गया था।
केजरीवाल इसे केंद्र की तानाशाही बता रहे हैं। उनका कहना है कि यदि दिल्ली में यह अध्यादेश लागू हो जाता है तो दिल्ली में जनतंत्र खत्म हो जाएगा। फिर दिल्ली वाले जो मर्जी सरकार चुनें उनकी कोई पावर नहीं होगी। फिर एलजी के जरिए केंद्र सरकार सीधे दिल्ली सरकार चलाएगी, चाहे लोग किसी भी पार्टी की सरकार चुनें। दिल्ली के बाद एक एक करके सभी राज्यों में जनतंत्र खत्म कर दिया जाएगा। वो दिन दूर नहीं जब प्रधानमंत्री 33 राज्यपालों/एलजी के माध्यम से सभी राज्य सरकारें चलाएंगे।