मोहम्मद जुबैर को सीतापुर में दर्ज मामले में सुप्रीम कोर्ट से 5 दिनों की सशर्त जमानत, पर रहना होगा जेल में
By विनीत कुमार | Published: July 8, 2022 12:37 PM2022-07-08T12:37:04+5:302022-07-08T13:28:33+5:30
अल्ट न्यूज के मोहम्मद जुबैर को यूपी के सीतापुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। हालांकि इसके बावजूद उन्हें अभी जेल में रहना होगा।
नई दिल्ली: अल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में दर्ज मामले में जमानत दे दी है। जुबैर की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को 5 दिनों के लिए अंतरिम जमानत इस शर्त पर दी कि वह मामले से संबंधित मुद्दे पर कोई नया ट्वीट पोस्ट नहीं करेंगे और सीतापुर मजिस्ट्रेट की अदालत के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेंगे। कोर्ट ने ये भी कहा कि जुबैर बेंगलुरु या कहीं और किसी इलेक्ट्रोनिक सबूत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेंगे।
कोर्ट मामले पर फिर पांच दिन बाद सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट से जुबैर को ये अंतरिम जमानत मिली है। इसके बावजूद जुबैर को जेल में ही रहना होगा क्योंकि दिल्ली में दर्ज केस भी अभी उन पर है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही जुबैर की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर यूपी पुलिस को नोटिस दिया है। याचिका में जुबैर ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में यूपी पुलिस की ओर से दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
#UPDATE Interim bail to Zubair by SC granted for 5 days on the condition that he will not post any fresh tweets on the issue related to the case and not leave jurisdiction of Sitapur Magistrate's court
— ANI (@ANI) July 8, 2022
कोर्ट में बहस के दौरान किसने क्या कहा
मामले पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गुरुवार को जुबैर के वकील ने कहा कि उनकी जान को खतरा है। मेहता ने कहा, 'वह न्यायिक रिमांड में है, उनकी जमानत कल सीतापुर अदालत ने खारिज कर दी थी और उसे रिमांड पर भेज दिया गया था। इस तथ्य का शीर्ष अदालत में खुलासा नहीं किया गया। यह तथ्यों को छिपाने का प्रयास है।'
तुषार मेहता ने कहा, 'तथ्यों को छिपाने के इस तरह के आचरण को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। वह इस अदालत को यह बताए बिना कि सीतापुर अदालत ने कल उनकी जमानत खारिज कर दी थी, वह सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांग रहे हैं।'
वहीं, इस पर जुबैर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि याचिका में लिखा गया है कि सीतापुर पुलिस जुबैर की पुलिस हिरासत की मांग कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में जिस आदेश को चुनौती दी गई है वह इलाहाबाद हाई कोर्ट का है।
गोंजाल्विस का कहना है कि जुबैर के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'इस मामले की नींव एक ट्वीट है। हम कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हैं, और पुलिस या न्यायिक हिरासत के प्रश्न अब अप्रासंगिक हैं। कोई मामला नहीं बनता है और कार्यवाही को रद्द करने की आवश्यकता है।'
मोहम्मद जुबैर के खिलाफ क्या है सीतापुर का मामला
जुबैर ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 10 जून के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें सीतापुर में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि जब जांच प्रारंभिक चरण में है तो हस्तक्षेप करना जल्दबाजी होगी।
उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करते हुए जुबैर ने मामले में जांच पर रोक लगाने और यूपी पुलिस को प्राथमिकी के आधार पर "आगे बढ़ने, मुकदमा चलाने या गिरफ्तार नहीं करने" के लिए निर्देश देने की भी मांग की थी। प्राथमिकी एक ट्वीट के लिए दर्ज की गई थी जिसमें उन्होंने कथित तौर पर हिंदू संत यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ट्विटर पर 'घृणा फैलाने वाले' कहा था।
फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने जान को खतरा बताते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मोहम्मद जुबैर को 27 जून को दिल्ली पुलिस ने सबसे पहले धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।